ग्वालियर में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने सरकारी सिस्टम में गहरी पैठ बनाए बैठे एक फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। एक आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत पर की गई जांच में सामने आया है कि 25 शासकीय सेवक फर्जी अनुसूचित जनजाति (ST) प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। STF ने मंगलवार रात को इन सभी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही है।
बनवाए फर्जी जाति प्रमाण पत्र: आरटीआई एक्टिविस्ट गोरीशंकर राजपूत से मिली गोपनीय सूचना के आधार पर इस पूरे रैकेट की जांच शुरू हुई थी। शिकायत के मुताबिक, एक संगठित गिरोह के द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर इनका उपयोग विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी पाने के लिए किया गया। विशेष पुलिस महानिदेशक एसटीएफ मध्यप्रदेश पंकज कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन और पुलिस अधीक्षक एसटीएफ ग्वालियर राजेश सिंह भदौरिया के निर्देशन में एसटीएफ के डीएसपी संजीव कुमार तिवारी के नेतृत्व में गठित 11 सदस्यीय टीम ने जब इस सूचना की गहराई से जांच की, तो 25 नाम सामने आए। इन सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है, लेकिन एसटीएफ की प्राथमिक जांच में फर्जीवाड़ा साबित हो चुका है। तिवारी ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द कर पूरा रैकेट सामने लाया जाएगा।
इन विभागों में हैं फर्जी अफसर-कर्मचारी
- शिक्षा विभाग (लेक्चरर)
- स्वास्थ्य विभाग (डॉक्टर)
- राजस्व विभाग
- जनजाति कार्य विभाग
- पुलिस विभाग (सूबेदार स्तर तक)
- पीडब्ल्यूडी / पीएचई (असिस्टेंट इंजीनियर)
आरोपियों के नाम भी आए सामने: अब तक सीताराम, जवाहर सिंह, सरला मांझी, राजेश कुमार, कुसुम मांझी, सुनीता रावत (मीणा) समेत अन्य 19 लोगों के नाम सामने आ चुके हैं। ये सभी आरोपित फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा का लाभ उठा रहे थे। जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अफसर भी जांच के घेरे में एसटीएफ ने सिर्फ फर्जी उम्मीदवारों पर ही नहीं, बल्कि फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले अफसरों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इन्हें भी नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। जल्द हो सकती है गिरफ्तारी।