मुजफ्फरपुर: जिले के सकरा थाना अंतर्गत मिश्रौलिया गांव में एक पिता अपने पांच बच्चों के साथ फांसी के फंदे पर झूल गया। इसमें तीन पुत्री समेत अमरनाथ राम (40) की मौत हो गई। जबकि उसके पत्नी की मौत होली के समय ही हो गई थी यह घटना एक उस पिता की अकर्मण्यता के साथ ही साथ व्यवस्था की विफलता की तस्वीर भी है, जहां एक परिवार धीरे-धीरे भूख, बीमारी और बेबसी में घुटता रहा। हालात ऐसे बने कि एक पिता ने जिंदगी से हार मान ली और उसके साथ उसके मासूम बच्चों की सांसें भी थम गईं।

पत्नी की बीमारी से हुई मौत
परिवार बेहद साधारण जिंदगी जी रहा था। मां की मौत पहले ही हो चुकी थी। वही मां, जो बीमारी के बावजूद दूसरों के घरों में काम कर बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाती थी। उसके जाने के बाद घर की रौनक ही नहीं, आमदनी भी चली गई।

पिता कभी-कभार मजदूरी कर लेता था, लेकिन काम लगातार नहीं मिलता था। कई दिन ऐसे गुजरते जब घर में चूल्हा नहीं जलता था। बच्चों का पेट भरने का सहारा सिर्फ सरकारी राशन था, जो भी हर महीने समय पर नहीं मिल पाता था।
घर में नहीं है कोई साधन
घर कच्चा था। न बिजली, न पंखा, न कोई बुनियादी सुविधा। बच्चों की पढ़ाई छूट चुकी थी क्योंकि किताब, कॉपी और कपड़े जुटाना संभव नहीं था। धीरे-धीरे जरूरतें बोझ बनती चली गईं और पिता भीतर ही भीतर टूटता चला गया घटना से एक रात पहले परिवार ने साथ बैठकर खाना खाया। यह शायद आखिरी बार था, जब घर में एक साथ खाना बना। किसी को अंदाजा नहीं था कि वही रात परिवार की आखिरी रात बन जाएगी सुबह जब सच्चाई सामने आई तो गांव सन्न रह गया। एक बच्चा किसी तरह जान बचाकर बाहर निकला और मदद की गुहार लगाई। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। एक पिता और उसके बच्चे मौत के फंदे से झूल रहे थे।

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