फतेहपुर। ऑल इंडिया स्टेट पेंशनर्स फेडरेशन के बैनर तले जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित किया गया। जिसमें इन लोगों ने कहा कि केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियमों और भारत की संचित निधि से पेंशन देनदारियों पर व्यय के सिद्धांतों के वैद्यकरण से संबंधित विधेयक संसद से पारित हो जाने के फल स्वरुप केंद्र सरकार को पूर्व पेंशनरों और वर्तमान पेंशनरों में विभेद करने का अधिकार भी प्राप्त हो गया है इस प्रकार केंद्र सरकार के द्वारा पूर्व पेंशनरों एवं वर्तमान पेंशनरों में भेद करने के अधिकार प्राप्त करने से न केवल उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों का उल्लंघन होता है बल्कि 01-01-2016 के पहले व इसके पश्चात के पेंशनरों के मध्य सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रदत्त समानता भी समाप्त होने का जोखिम उत्पन्न हो गया है हालांकि केंद्र सरकार द्वारा स्पष्ट भी किया गया है कि यह कार्रवाई कटी पर मुकदमों से उत्पन्न स्थिति के कारण करनी पड़ी है यदि ऐसा था तो भी उक्त बिल में इस आशय का उल्लेख किया जा सकता था कि यह एक सीमित उद्देश्य के लिए है एवं इसका कोई प्रभाव आगामी केंद्रीय वेतन आयोग पर नहीं पड़ेगा इन लोगों ने देश की सामाजिक व्यवस्था में देश के प्रत्येक नागरिक को न्याय एवं सुरक्षा प्रदान करना भी प्रत्येक कल्याणकारी शासन व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य बताया। अखिल भारतीय राज्य पेंशनर्स फेडरेशन के आवाहन पर पुनर्विचार करते हुए ऐसी व्यवस्था करने की इन लोगों ने मांग किया जिससे पेंशनर्स पूर्व प्रदेश सुविधाओं से वंचित न हो सके। ज्ञापन देने वालों में रशीद अहमद, काली शंकर श्रीवास्तव, राजबहादुर, कमरुल हसन, शिव मोहन, फहीम, रामराज वर्मा, राम विशाल सहित तमाम लोग मौजूद रहे।