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98.97 फीसदी अंकों के साथ आयुष ने पास की जी-मेंस की मुख्य परीक्षा

– परीक्षा के ठीक पहले मां की दुखद मौत से भी नहीं डिगा ध्यान
– पिता शिवाकांत अवस्थी हाईकोर्ट के हैं काबिल अधिवक्ता
– आल इंडिया रैंकिंग 15864 के साथ आईआईटी के क्षेत्र में लंबी छलांग का है मकसद
–  जी-मेंस की मुख्य परीक्षा पास करने वाले आयुष।
फतेहपुर। होनहार बिरवान के होत चीकने पाद! हालात कुछ भी हों किन्तु मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी राह कठिन नहीं है। मूलतः सहिली ग्राम के रहने वाले आयुष अवस्थी ने जी-मेंस की मुख्य परीक्षा उन परिस्थितियों में ससम्मान उत्तीर्ण की जब कुछ ही दिनों पहले एक दुर्घटना में उसकी जननी (मां) के पैर काट दिए गए और परीक्षा के ऐन मौक़े पर मां का दुखद निधन हो गया। इसके बावजूद विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए न सिर्फ़ परीक्षा की तैयारियों को अंतिम स्पर्श दिया बल्कि नम आंखों के बीच परीक्षा दी और फिर सफ़लता के झंडे गाड़ दिए। गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता शिवाकांत अवस्थी मूलतः फतेहपुर सदर तहसील के सहिली गांव के निवासी हैं। इनके पिता स्व. अम्बिका प्रसाद अवस्थी खेती-किसानी करते थे, किन्तु संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को न सिर्फ उच्च स्तरीय संस्कार दिए बल्कि शिक्षा-दीक्षा में भी कोई कोताही नहीं बरती। नतीजतन शिवाकांत अवस्थी ने संगम नगरी (प्रयागराज) को अपना नया ठिकाना बनाया और वहीं उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने बच्चों को भी शिक्षा की गंभीरता से बख़ूबी वाकिफ करवाते हुए अपने एकलौते बेटे आयुष अवस्थी को इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करते ही इंजीनियरिंग की ओर रुख करवाया। जिसका नतीजा यह रहा कि बगैर किसी कोचिंग आदि के आयुष ने इस दिशा में क़दम आगे बढ़ाया। आयुष जी-मेंस की तैयारी में पूरी शिद्दत से जुटा ही था कि इसी बीच 28 दिसंबर को उसकी शिक्षक मां सीमा बाजपेई को एक मार्ग दुर्घटना में पैर गवा देना पड़ा और तमाम प्रयासों के बावजूद अगले दिन उनकी मौत हो गई। परिवार में बेहद ग़मगीन माहौल के बावजूद (मां की मौत के) ठीक तीस दिन बाद यानी 28 जनवरी को आयुष ने जी-मेंस का पहला एग्जाम दिया जिसमें अच्छी खासी रैंक हासिल की, फ़िर भी और बेहतरी का प्रयास जारी रखा और विगत 08 अप्रैल को जी-मेंस का दूसरा एग्जाम दिया। जिसका विगत 17 अप्रैल के घोषित हुए परिणाम में आयुष ने 98.9763950 फ़ीसदी अंक अर्जित किए जिसकी आल इंडिया रैंकिंग 15864 है, जो अपने आप में गौरव का विषय है। आयुष अवस्थी आगे चलकर आईआईटी के क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ना चाहता है। उसका कहना है कि वह अपना ख्वाब पूरा करके अपनी दिवंगत मां को वास्तविक रूप से श्रद्धांजलि देना चाहता है, क्योंकि उसकी सरकारी शिक्षक मां उसे काबिल इंजीनियर के रूप में देखना चाहती थी, और वह उनका ख्वाब पूरा करने में कोई कोताही नहीं रखेगा। आयुष के पिता इलाहाबाद हाईकोर्ट के ख्यातिलब्ध/काबिल अधिवक्ताओं की फ़ेहरिस्त में शामिल हैं। वह बेटे आयुष की सफलता से खासे उत्साहित हैं और उनको पूर्ण विश्वास है कि मेरे बेटा और बेटी अपने परिवार का नाम आगे भी रौशन करते रहेंगे।

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