ई-रिक्शा, ओला-उबर चालकों के लिए सख्ती! यूपी में लागू हुए नए नियम
NW-Editor 
May 29, 2025
उत्तरप्रदेश
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यूपी सरकार ने सभी जिलों में ऑटो, ई-रिक्शा, टैक्सी और ओला-उबर जैसी कैब सेवाओं पर बड़ा नियम लागू कर दिया है। अब हर ड्राइवर को अपनी गाड़ी में स्पष्ट रूप से अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य होगा। जब तक यह जानकारी गाड़ी में नहीं लिखी होगी, ड्राइवर को वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यूपी महिला आयोग ने की थी मांग
योगी सरकार ने यह कदम खासकर महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनज़र उठाया है। यूपी महिला आयोग ने इस संबंध में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को पत्र लिखकर सख्ती से नियम लागू करने की मांग की थी। यह नियम महिलाओं के लिए यात्रा को और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डा. बबीता चौहान ने इस संबंध में परिवहन राज्य मंत्री दयाशकंर सिंह को पत्र भेजा था जिसमें सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाहनों पर भी चालकों का विवरण भी अंकित कराने की अनुरोध किया है।
Uttar Pradesh में हुए हादसों ने किया हैरान
पिछले दिनों यूपी की राजधानी लखनऊ में आटो चालक की छेड़छाड़ से बचने के लिए एक छात्रा ने चलती गाड़ी से छलांग लगा दी थी। इससे पहले राजधानी में ही बीते जनवरी में वाराणसी से परीक्षा देकर लौटी युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं।
डॉ. बबीता चौहान ने बताया कि महिलाओं के साथ सवारी वाहनों में हो रही विभिन्न घटनाओं का संज्ञान लेते हुए आयोग द्वारा आवागमन के विभिन्न साधनों ई-रिक्शा, ओला कैब, उबर कैब, रैपिडो, आटो, टेंपो आदि पर वाहन चालक का नाम, मोबाइल नंबर व आधार नंबर अंकित कराने का निर्णय लिया गया है। इसके संबंध में परिवहन राज्य मंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया गया है। यह व्यवस्था होने से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी और त्वरित न्याय दिलाने में आसानी होगी।
CM योगी के शासनकाल में यूपी में महिला अपराधों में कमी
यूपी में पिछले 6 साल में महिलाओं, बच्चियों के खिलाफ अपराध में काफी कमी आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) महिला अपराधों समेत प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर लगातार मॉनिटरिंग करते रहे हैं। डीजीपी पुलिस (UP Police) अधिकारियों को समय-समय पर इन अपराधों को लेकर दिशा-निर्देश देते रहते हैं। इन कोशिशों से ऐसे अपराधों पर नियंत्रण लाने में काफी हद तक सफलता मिली है।
2016 से तुलना करें तो सभी तरह के मामलों में कमी देखने को मिलेगी। 2016 की तुलना में दहेज जैसी घटनाओं के बारे में देखें तो 2023-24 के बीच में लगभग 17.5 प्रतिशत की कमी आई है। 2016 की तुलना में 2023-24 में बलात्कार की घटनाओं में 25.30 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। 2017 से लेकर 2024 के बीच में नाबालिग बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में प्रदेश सरकार ने अपने प्रॉसीक्यूशन विंग को मजबूत किया है, जिसका परिणाम आज सबके सामने है। इस दौरान 24 हजार 402 प्रकरणों में अभियुक्तों को अब तक सजा दिलाई जा चुकी है। 2017-24 के बीच POCSO Act में 9875 अभियोगों में सजा दिलाई गई है। 2022 से 2024 के मध्य महिलाओं के विरुद्ध POCSO अपराध में 16,718 अभियुक्तों को सजा दी गई है, जिसमें 21 को मृत्युदंड, 17,013 को आजीवन कारावास, 4653 को दस वर्ष या उससे अधिक का कारावास और 10,331 को दस वर्ष से कम के कारावास की सजा दी गई है।