फतेहपुर जनपद के मलवा विकासखंड अंतर्गत दरियापुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का शुक्रवार, 21 नवंबर 2025 को समापन हो गया। कथा के सप्तम दिवस पर पंडित यदनाथ अवस्थी भार्गव जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। इस दौरान आचार्य कुलदीप द्विवेदी ने विधि-विधान से देवताओं का पूजन कराया।
पंडित भार्गव जी महाराज ने बताया कि भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता बचपन से ही सच्ची थी। सुदामा अत्यंत गरीब ब्राह्मण थे, जिनकी पत्नी ने उन्हें अपनी गरीबी दूर करने के लिए द्वारका जाकर कृष्ण से मिलने को कहा।
द्वारका पहुंचने पर भगवान कृष्ण ने सुदामा की दीन-दशा देखकर उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने अपने आँसुओं से सुदामा के पैर धोए। सुदामा द्वारा दिए गए तंदुल के बदले श्री कृष्ण ने उन्हें बिना बताए अपार संपत्ति और वैभव प्रदान किया, जिससे उनकी गरीबी समाप्त हो गई।
कथावाचक ने सुदामा की दीनता का वर्णन करते हुए कहा, “शीश पगार झगा तन में प्रभु जानै को आय बसै केहि ग्रामा धोती फटी सी लटी दुपटी सी अरु उपानन को नहिं सामा पूछता दीनदयाल को धाम बतावत आपन नाम सुदामा।” उन्होंने आगे कहा, “पानिपरात को हाथ छुओ नहीं नैनन के जल सो पग धोयो।” पंडित भार्गव जी महाराज ने सुदामा के चरित्र को निस्वार्थ प्रेम, सच्ची मित्रता और भक्ति का अनुपम उदाहरण बताया।
सुदामा चरित्र के उपरांत उन्होंने परीक्षित मोक्ष की कथा भी विस्तार से सुनाई। श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया गया। आचार्य कुलदीप द्विवेदी के मार्गदर्शन में कथा के मुख्य यजमान परीक्षित नंदेश्वर निषाद ने विधि-विधान से यज्ञ अनुष्ठान संपन्न कराया।
इस यज्ञ में दूर-दूर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आहुतियां डालीं। यज्ञ पूर्णाहुति के बाद विशाल गया भोज का आयोजन किया गया।
इस धार्मिक कार्यक्रम में आचार्य कुलदीप द्विवेदी, मुख्य यजमान परीक्षित नंदेश्वर निषाद, ग्राम प्रधान रामदास निषाद, सर्वेश निषाद, देशराज भदोरिया, बचान निषाद, रामचंद्र निषाद, सुरेश निषाद, मेवालाल निषाद, बाबूराम निषाद, रमेश निषाद, भैया लाल निषाद, देशराज निषाद, राम सहाडे निषाद सहित सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।
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