दो साल के भीषण संघर्ष के बाद अब जाकर गाजा में जंग थमने की उम्मीद जगी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 20-प्वाइंट गाज़ा शांति प्लान के पहले चरण पर इजराइल और हमास सहमत हो गए हैं. समझौते के तहत हमास ने 20 इजराइली बंधकों को रिहा किया, जबकि इजराइल ने 250 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ा.
लेकिन इन दो सालों में इजराइल ने सिर्फ गाजा या हमास तक ही अपनी कार्रवाई सीमित नहीं रखी. उसने अपने छह पुराने विरोधियों पर भी जबरदस्त सैन्य दबाव बनाया. गाजा की चिंगारी ने लेबनान, यमन, ईरान, सीरिया, क़तर और ट्यूनीशिया को अपनी लपटों में ले लिया.
1. लेबनान
हमास के समर्थन में हिजबुल्लाह ने उत्तरी इजराइल पर रॉकेट बरसाने शुरू किए थे. एक साल तक यह टिट-फॉर-टैट युद्ध चलता रहा. लेकिन सितंबर 2024 में इजराइल ने अचानक दक्षिणी लेबनान में ग्राउंड इनवेशन शुरू कर दिया. महज कुछ दिनों में ही इजराइल ने 900 से ज्यादा मिसाइलें दागीं. 18 सितंबर को हिजबुल्लाह नेताओं के पेजर और वॉकी-टॉकी में एक साथ हुए धमाकों ने सबको चौंका दिया. इन्हीं हमलों में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत हो गई. हालांकि नवंबर 2024 में सीजफायर हुआ, लेकिन इजराइल अब भी दक्षिण लेबनान में पांच बॉर्डर पोस्ट पर कब्जा जमाए हुए है और हवाई हमले कर रहा है.
2. यमन
अक्टूबर 2023 से यमन के हूती विद्रोही गाजा के समर्थन में इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे थे. मई 2025 तक उन्होंने करीब 250 हमले किए. इसके जवाब में इजराइल ने 28 अगस्त 2025 को ऑपरेशन लकी ड्रॉप चलाकर सना में एक उच्चस्तरीय हूती मीटिंग पर हमला किया, जिसमें हूती प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी समेत कई बड़े नेता मारे गए. लाल सागर में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाते हुए इजराइल ने 10 जून 2025 को अल-हुदायदाह पोर्ट पर नौसैनिक हमला किया. हाल ही में 10 सितंबर को फिर सना और अल-जौफ में बमबारी कर 20 से अधिक हूती ठिकाने उड़ाए गए.
3. ईरान
सालों से ईरान और इजराइल के बीच एक पर्दे की पीछे युद्ध चल रहा था. लेकिन 13 जून 2025 को इजराइल ने 200 से अधिक फाइटर जेट्स से हमला कर ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू किया. इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि ईरान परमाणु बम बनाने के कगार पर था.12 दिन चली इस जंग में ईरान के 627 और इजराइल के 28 सैनिक मारे गए. 24 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की, लेकिन इजराइल ने ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया.
4. सीरिया
दिसंबर 2024 में बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद सीरिया में अराजकता फैल गई. इजराइल ने सिर्फ 48 घंटों में सैकड़ों हवाई हमले कर असद शासन का 70% सैन्य जखीरा नष्ट कर दिया ताकि हथियार आतंकी संगठन HTS के हाथ न लगें. 8 सितंबर 2025 को हुए ताजा हमले में 12 लोग मारे गए. इजराइल ने दावा किया कि सीरिया ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड को हथियार सप्लाई कर रहा था. इसके बाद इजराइल ने गोलन हाइट्स के डिमिलिट्राइज्ड ज़ोन पर भी कब्ज़ा कर लिया जो 1974 के समझौते का उल्लंघन माना जा रहा है.
5. कतर
9 सितंबर 2025 को इजराइल ने दोहा में हमास नेताओं के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की. हमास के नेता गाजा सीजफायर पर बातचीत करने के लिए जुटे थे. इजराइल की तरफ से F-15 और F-35 फाइटर जेट्स से 10 से अधिक मिसाइलें दागी गईं. हमले में पांच हमास सदस्य और एक कतरी सुरक्षा अधिकारी मारे गए. इस घटना की ब्रिटेन, जर्मनी, सऊदी अरब, मिस्र और कनाडा समेत कई देशों ने निंदा की. यूरोपीय संघ ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया.
6. ट्यूनीशिया
8 सितंबर की रात इजराइल ने ट्यूनीशिया के एक पोर्ट पर ड्रोन स्ट्राइक की. लक्ष्य था एक फैमिली बोट, जो पुर्तगाली झंडे के तहत गाज़ा में राहत सामग्री ले जा रही थी. इजराइल ने दावा किया कि ये जहाज़ हमास को हथियार और रसद पहुंचाने का माध्यम थे. अगले दिन दूसरा हमला भी हुआ, जिसमें कई नागरिक मारे गए.
अमेरिका की मदद से इजराइल युद्ध में टिक पाया
जानकार कहते हैं कि इजराइल ने हमास के साथ बाकी कई और देशों के साथ सीधे युद्ध में एंट्री अमेरिका के बल पर की. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं. इस दो साल की जंग में अमेरिका ने इजराइल को $21.7 बिलियन (₹1.92 लाख करोड़) के हथियार दिए. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच इजराइल के आयातित हथियारों में 66% हिस्सा अमेरिका का था. ईरान, यमन और मिडिल ईस्ट के अन्य अभियानों में अमेरिका ने 10 से 12 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च भी उठाया.