विजयीपुर, फतेहपुर। विजयीपुर क्षेत्र के अंतर्गत गोदौरा गांव में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक व्यास मारुति नंदन जी महाराज के द्वारा राजा परीक्षित की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया कथावाचक ने बताया। कि एक बार राजा परीक्षित आखेट करते हुए वनों में काफी दूर चले गए। उनको प्यास लगी पास तो ऋषि के आश्रम में पहुंचे और बोले ऋषिवर मुझे पानी पिला दो। लेकिन, ऋषि में थे इसलिए पानी नहीं पिला सके परीक्षित ने सोचा की इसने मेरा अपमान किया है। इस पर राजा ने मरा हुआ सर्प ऋषि के गर्दन में डाल दिया। ऋषि के बेटे को जानकारी हुई तो उन्होंने श्राप दिया कि जिसने पिता की गर्दन में सांप डाला है आज से सातवें दिन तक्षक नाग के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो धर्मात्मा राजा परीक्षित है और यह अपराध इन्होंने कलयुग के वशीभूत होकर किया है। यह सूचना परीक्षित को दी कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प तुम्हें डसेगा। यह सुनकर परीक्षित दुखी नहीं हुए और अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंप कर गंगा के तट पर पहुंचे। वहां पर बड़े-बड़े ऋषि मुनि देवता पहुंचे और अंत में सुखदेव वहां पहुंचे। सुखदेव संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए हैं। मोक्ष की प्राप्ति के लिए राजा को श्रीमद्भागवत कथा सुनाई गई। राजा परीक्षित मोक्ष की कथा सुन दर्शक भाव विभोर हो गए। इस मौके पर रमाकांत द्विवेदी, सुमित, हर्ष द्विवेदी, संजय सिंह सहित आदि भक्तगण मौजूद रहे।
