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प्रयागराज बुलडोजर एक्शन अमानवीय: सुप्रीम कोर्ट, पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा

प्रयागराज | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी को मकान गिराने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने अधिकारियों के बुलडोजर एक्शन को अमानवीय और अवैध बताया। साथ ही कहा- 2021 में हुई इस कार्रवाई के दौरान दूसरों की भावनाओं और अधिकारों का ख्याल नहीं रखा गया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा- देश में लोगों के रिहायशी घरों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता है। इसने हमारी अंतरआत्मा को झकझोर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-

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राइट टु शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है। उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह की कार्रवाई किसी भी तरह से ठीक नहीं है।

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प्रयागराज प्रशासन ने 2021 में गैंगस्टर अतीक की प्रॉपर्टी समझकर एक वकील, प्रोफेसर और 3 अन्य के मकान गिरा दिए थे। सुप्रीम कोर्ट में वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों ने याचिका दाखिल की थी। ये वो लोग हैं, जिनके मकान तोड़े गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकी याचिकाएं ठुकरा दी थीं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिया कि जिनके मकान गिराए गए हैं, उन्हें 6 हफ्तों के भीतर 10-10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।

जस्टिस उज्जल भुइयां ने एक घटना का जिक्र किया

तस्वीर 24 मार्च 2025 की है, जब यूपी के अंबेडकर नगर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई।तब एक बच्ची अपनी किताब लेकर भागती दिखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसका जिक्र किया।
तस्वीर 24 मार्च 2025 की है, जब यूपी के अंबेडकर नगर में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई।तब एक बच्ची अपनी किताब लेकर भागती दिखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसका जिक्र किया।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जल भुइयां ने यूपी के अंबेडकर नगर में 24 मार्च की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ”अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ एक 8 साल की बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही थी। इस तस्वीर ने सबको शॉक्ड कर दिया था।”

गैंगस्टर अतीक की जमीन समझ 5 मकान गिराए थे

सुप्रीम कोर्ट में जब पहले इस केस की सुनवाई हुई तो पीड़ितों की तरफ से वकील अभिमन्यु भंडारी ने दलील दी। उन्होंने कहा था, “अतीक अहमद नाम का एक गैंगस्टर था, जिसकी 2023 में हत्या कर दी गई थी। अफसरों ने पीड़ितों की जमीन को अतीक की जमीन समझ लिया। उन्हें (राज्य को) अपनी गलती स्वीकार कर लेनी चाहिए।” इस दलील पर यूपी सरकार ने कहा था कि हमने याचिकाकर्ताओं को नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया था। इस बहस से जस्टिस ओका सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा, “नोटिस इस तरह क्यों चिपकाया गया? कूरियर से क्यों नहीं भेजा गया? कोई भी इस तरह नोटिस देगा और तोड़फोड़ करेगा? ये तोड़फोड़ का एक ऐसा मामला है, जिसमें अत्याचार शामिल है।”

यह वही जगह है जहां मकान को ढहाकर मैदान किया गया था। यह इलाका लूकरगंज कहलाता है। इसी के ठीक सामने माफिया अतीक का चकिया कार्यालय था। जिस पर भी बुलडोजर चला था। कार्यालय के ठीक सामने अतीक के घोड़ों के लिए अस्तबल बना था। इसी से सटे ये सभी 5 मकान थे। प्रशासन ने अतीक से जुड़ाव के चलते इसे ढहा दिया था।
यह वही जगह है जहां मकान को ढहाकर मैदान किया गया था। यह इलाका लूकरगंज कहलाता है। इसी के ठीक सामने माफिया अतीक का चकिया कार्यालय था। जिस पर भी बुलडोजर चला था। कार्यालय के ठीक सामने अतीक के घोड़ों के लिए अस्तबल बना था। इसी से सटे ये सभी 5 मकान थे। प्रशासन ने अतीक से जुड़ाव के चलते इसे ढहा दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस बयान के आधार पर कहा था कि वह भूमि नजूल लैंड थी। उसे सार्वजनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना था। 906 से जारी लीज 1996 में खत्म हो चुकी थी। याचिकाकर्ताओं ने लीज होल्ड को फ्री-होल्ड करने का आवेदन दिया था। उन आवेदनों को 2015 और 2019 में खारिज किया जा चुका है। ऐसे में बुलडोजर कार्रवाई के जरिए अवैध कब्जे को हटाया गया था।

6 मार्च की रात नोटिस, अगले दिन तोड़ दिए थे मकान

रविवार, 7 मार्च 2021 को प्रोफेसर अली अहमद और वकील जुल्फिकार हैदर समेत कुल 5 लोगों के मकान गिराए गए थे। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उन्हें शनिवार, 6 मार्च की रात को नोटिस दिया गया। हालांकि नोटिस पर 1 मार्च की तारीख लिखी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जिस जमीन पर यह मकान बने थे, वह लोग उसके लीज होल्डर थे।

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