लखनऊ: लखनऊ में इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने बकरीद के लिए एडवाइजरी जारी की है। ईद-उल-अजहा (बकरीद) में किन बातों का विशेष ध्यान रखना है, उसके लिए 12 पॉइंट्स की एडवाइजरी बनाई गई। देशभर में 7 जून को ईद-उल-अजहा मनाई जाएगी। इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उन्हीं जानवरों की कुर्बानी दी जाए, जिन पर कानूनी बैन नहीं है।
7, 8 और 9 जून को होगी कुर्बानी
ईदगाह के इमाम मौलाना फिरंगी महली ने कहा कि कुर्बानी करना कोई रस्म-ओ-रिवाज नहीं है बल्कि पैगंबर इब्राहिम और इस्माईल की सुन्नत है। कुर्बानी एक इबादत है, जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं, वो कुर्बानी जरूर करें। इस वर्ष 7, 8 और 9 जून को कुर्बानी कर सकते हैं। कुर्बानी करते वक्त कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
खुले में कुर्बानी न करें, सोशल मीडिया पर तस्वीरें न डालें
मौलाना ने कहा, उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें जिन पर कानूनी प्रतिबंध नहीं है। कुर्बानी के समय स्वच्छता सुनिश्चित की जानी चाहिए। सार्वजनिक स्थल पर कुर्बानी न करके पूर्व में निर्धारित स्थान, स्लॉटर हाउस या घर के अंदर की जाए। खुले में या सड़क किनारे भी कुर्बानी न दें। तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर नहीं किया जाना चाहिए।
अपशिष्ट को सड़कों पर न फेंकें
एडवाइजरी में कहा गया है कि कुर्बानी के बाद जानवर के अपशिष्ट को सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं फेंका जाना चाहिए। बल्कि नगर निगम के कूड़ेदान के अंदर रखा जाना चाहिए। मौलाना फिरंगी महली ने कहा है कि हमें कुर्बानी करते समय दूसरों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। त्योहार का मतलब है अपनी खुशी के साथ दूसरे की सुविधा का ध्यान रखना।
सेना के लिए दुआ की अपील किया
मौलाना ने कहा कि कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में ना बहाया जाए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे उचित नहीं माना गया है। खून को मिट्टी में दफन कर दें। एडवाइजरी में कहा गया है कि जानवरों के मांस को ठीक से पैक करके ही बांटें। खुले में मांस को कहीं नहीं ले जाना चाहिए। कुर्बानी के गोश्त का एक तिहाई हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों में बांटा जाना चाहिए। बकरीद की नमाज में सेना के जवान और देश की तरक्की के साथ फकस्तीन के लिए दुआ की जाए।