भिवानी: वर्ष 1959 में अमेरिकी कंपनी मैटल द्वारा बाजार में बार्बी डॉल नामक गुड़िया लाई गई थी. तब ये सपना शायद खुद उसकी निर्माता रूथ हैंडलर ने भी नहीं देखा होगा कि यह गुड़िया सात दशकों बाद भी इतनी प्रसिद्ध होगी कि उसकी प्रेरणा भारत के एक ग्रामीण इलाके में रहने वाली महिला को एक नई पहचान दे देगी.
रोबोटिक अंदाज में दैनिक जीवन के कार्य
हरियाणा के भिवानी जिले के कलिंगा गांव की रहने वाली पूजा नरेंद्र कलिंगा आज सोशल मीडिया पर एक खास पहचान बना चुकी हैं. वह एक “हरियाणवी बॉर्बी डॉल” के रूप में छा रही हैं. पूजा अपने दैनिक जीवन के कार्यों को एक रोबोटिक अंदाज में, ठेठ देसी परिधान पहनकर करती हैं, और उनका यह अनोखा स्टाइल सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
पूजा कलिंगा, जो पेशे से एक प्राइमरी टीचर हैं और चाइल्ड केयर का कोर्स भी कर चुकी हैं, आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाखों लोगों की प्रेरणा बन चुकी हैं. वे दो बच्चों की मां हैं और उनका यह रूप उन्हें आम महिलाओं से अलग बनाता है. पूजा बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें बार्बी डॉल काफी पसंद थी. बार्बी की तरह चलना, बोलना और हाव-भाव अपनाना उनकी आदत में शामिल था. यह शौक तब एक नए मोड़ पर पहुंचा जब उनके पति नरेंद्र कलिंगा ने उनके इस टैलेंट को पहचाना और वीडियो बनाकर यू-ट्यूब व इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करना शुरू किया.
हरियाणवी संस्कृति को मिला ग्लैमरस टच
पूजा की खास बात यह है कि उन्होंने बार्बी के ग्लैमर को हरियाणवी संस्कृति से जोड़ा है. जहां आमतौर पर बार्बी डॉल को वेस्टर्न कपड़ों में देखा जाता है, वहीं पूजा अपने वीडियो में हरियाणवी पारंपरिक परिधान जैसे कुर्ता, दामण और चुंदड़ी पहनकर नजर आती हैं. उनका कहना है कि यह केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि एक संस्कृति को बचाने का प्रयास भी है.
पूजा का कहना है कि “हमारे हरियाणवी परिधान समय के साथ अपनी पहचान खोते जा रहे हैं. मैं चाहती हूं कि आज की पीढ़ी इन कपड़ों को जाने, पहचाने और अपनाए. यही वजह है कि मैंने बॉर्बी डॉल के किरदार को हरियाणवी रंग दिया है”.
शुरुआत में थी झिझक, अब है आत्मविश्वास
पूजा और नरेंद्र कलिंगा दोनों ने बताया कि शुरुआत में कैमरे के सामने आना पूजा के लिए आसान नहीं था. वे डरती थीं कि लोग क्या कहेंगे. लेकिन उनके पति ने उन्हें प्रोत्साहित किया और धीरे-धीरे लोगों की सराहना ने उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया. अब पूजा केवल एक सोशल मीडिया स्टार नहीं हैं, बल्कि कई लोगों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं. उनकी वीडियो को न सिर्फ हरियाणा, बल्कि पूरे देश से प्यार मिल रहा है.
नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक पुनर्जीवन की मिसाल
पूजा कलिंगा की यह यात्रा न केवल एक क्रिएटिव अभिव्यक्ति है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण, घरेलू महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने, और स्थानीय संस्कृति के संवर्धन का भी प्रतीक है. वह दिखा रही हैं कि अगर जुनून हो, तो एक गांव की महिला भी ग्लोबल लेवल पर पहचान बना सकती है. पूजा का कहना है कि “मैं एक आम महिला हूं, लेकिन बार्बी की तरह एक खास पहचान बनाना चाहती थी. आज मुझे खुशी है कि मैं अपने शौक के जरिए अपने समाज, अपनी संस्कृति और खुद को एक नई दिशा दे पाई हूं.”