– ब्यूरो मुन्ना बक्श
बांदा। उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के पूर्व जिला मंत्री आत्माराम त्रिपाठी ने एक हृदयस्पर्शी पत्र जारी कर पत्रकार समुदाय से अपने दिवंगत साथी सौरभ दीपू के परिवार के लिए एकजुट होने की मार्मिक अपील की है। सौरभ दीपू, जिनकी निष्पक्ष लेखनी और सादगी ने पत्रकारिता को नई ऊँचाइयाँ दीं, की मृत्यु आर्थिक तंगी और दुखद परिस्थितियों में हुई। उनकी यह असमय विदाई पत्रकार बिरादरी के लिए एक गहरा आघात है, जो हमारी सामाजिक और व्यावसायिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।त्रिपाठी ने अपने पत्र में गहरे दुख के साथ लिखा, “हमारा प्रिय मित्र सौरभ दीपू अब हमारे बीच नहीं है। उनकी मृत्यु आर्थिक तंगी और भूख जैसी अमानवीय परिस्थितियों में हुई, जो हमारी व्यवस्था पर एक तीखा प्रहार है। इससे भी अधिक पीड़ादायक यह है कि हमने उनके निधन की खबरें तो छापीं, लेकिन उनके परिवार की व्यथा को समझने या उनकी मदद करने की कोई कोशिश नहीं की।”उन्होंने पत्रकार बिरादरी से आग्रह किया कि सौरभ के परिवार को उस असहनीय पीड़ा से न गुजरना पड़े, जिसने उनके प्रिय साथी को उनसे छीन लिया। त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि पत्रकार समुदाय तत्काल एक बैठक आयोजित करे, जिसमें सौरभ के परिवार की आर्थिक और भावनात्मक सहायता के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। उन्होंने लिखा, “यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने साथी के परिवार को इस विपदा में अकेला न छोड़ें। उनके परिवार की आजीविका, सम्मान और भविष्य हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”पत्र के अंत में त्रिपाठी ने सभी पत्रकारों से इस आह्वान को गंभीरता से लेने और एकजुट होकर मानवता की इस पुकार पर अमल करने की अपील की। उन्होंने चेताया, “आज सौरभ है, कल कोई और सौरभ हो सकता है। हमें अभी संवेदनशील और सक्रिय होना होगा, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।”यह पत्र पत्रकार समुदाय के लिए एक भावनात्मक और नैतिक जागरण है, जो यह संदेश देता है कि सच्ची पत्रकारिता केवल सच को उजागर करने तक सीमित नहीं है, बल्कि अपने साथियों के सुख-दुख में वास्तविक रूप से साथ खड़े होने की जिम्मेदारी भी है। त्रिपाठी ने जोर देकर कहा, “हर पत्रकार को यह विश्वास दिलाना होगा कि वह अकेला नहीं है। उसके परिवार के अलावा पत्रकारिता का एक बड़ा परिवार है, जो न केवल समाचारों या सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित है, बल्कि हर सुख-दुख में मजबूती से साथ खड़ा है।”आइए, सौरभ दीपू की पत्रकारिता की पवित्र विरासत को जीवित रखें और उनके परिवार को एक सुरक्षित, सम्मानजनक भविष्य प्रदान करें। यह एकजुटता न केवल सौरभ के परिवार, बल्कि पूरे पत्रकार समुदाय के लिए एक प्रेरणा बनेगी।