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“बंगाल में SIR फॉर्म की बाढ़! एन्क्लेव महिलाओं की पहचान पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाया बड़ा कदम”

देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट का रिवीजन SIR 4 नवंबर से शुरू हो चुकी है। पश्चिम बंगाल में विरोध के बावजूद बूथ लेवल अधिकारियों ने 3.04 करोड़ से ज्यादा फॉर्म बांट दिए हैं। हालांकि, कूचबिहार के पूर्व एन्क्लेव निवासियों ने लगभग 450 महिलाओं के नाम जिला प्रशासन को सौंपे हैं। उन्हें डर है कि 9 दिसंबर को पब्लिश होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से उनका नाम छूट सकता है।

इधर, सुप्रीम कोर्ट 11 नवंबर से वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। CJI बीआर गवई की बेंच में यह मामला लिस्टेड किया गया है। तमिलनाडु सरकार की याचिका में पूरे देश में SIR प्रक्रिया शुरू करने को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट पहले से ही बिहार में SIR की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

पहले जानिए कौन हैं एनक्लेव महिलाएं

अगस्त 2015 में भारतीय मुख्य भूमि में 51 बांग्लादेशी एन्क्लेवों शामिल किए गए थे। यहां रहने वाली इन महिलाओं के नाम उस साल एन्क्लेव एक्सचेंज से पहले जनगणना के लिए नहीं रखे गए थे क्योंकि उनकी पहले ही शादी हो चुकी थी। वे देश के विभिन्न कोनों में अपने ससुराल वालों के साथ रहने चली गई थीं।

भारत-बांग्लादेश के बीच1974 के भूमि सीमा समझौते के तहत परिक्षेत्रों का ऐतिहासिक आदान-प्रदान हुआ।आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, भारतीय बॉर्डर में रहने वाले बांग्लादेशी परिक्षेत्रों के 15,856 निवासियों को नागरिकता दी गई। वहीं, बांग्लादेश में भारतीय परिक्षेत्रों में रहने वाले 921 अतिरिक्त निवासियों को भी नागरिकता दी गई, ये सीमा पार कर बांग्लादेश आए थे।

तमिलनाडु सरकार का दावा- लाखों वोटर्स के नाम कट जाएंगे

DMK के संगठन सचिव आरएस भारती ने SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 3 नवंबर को याचिका दायर की थी। जिसमें प्रक्रिया को असंवैधानिक, मनमाना और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरा बताया गया है। SIR को अनुच्छेद 14, 19 और 21 में दिए समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है।

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि कम समय होने के कारण लाखों असली मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हट जाएंगे, जिससे वे वोटिंग से वंचित हो जाएंगे। तमिलनाडु में अक्टूबर 2024 और 6 जनवरी 2025 के बीच एक विशेष संशोधन (एसएसआर) किया गया था, जिसमें प्रवास, मृत्यु और अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाए गए थे। इसकी रिपोर्ट को 6 जनवरी को पब्लिश किया गया था, तब से इसे अपडेट किया जा रहा है।

बंगाल में सेक्स वर्कर ने की मीटिंग, कई के पास दस्तावेज नहीं

SIR प्रक्रिया के लिए बंगाल के 294 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 80,681 BLO फॉर्म बांटने के लिए राज्य भर में मतदाताओं के घरों का दौरा कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 7 नवंबर की रात 8 बजे तक राज्य में 3.04 करोड़ से ज्यादा फॉर्म बांटे जा चुके हैं। राज्य में आखिरी बार SIR 2002 में किया गया था।

इधर, एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में से एक, कोलकाता के सोनागाछी इलाके की सेक्स वर्कर्स ने एक बैठक की ताकि यह पता लगाया जा सके कि गणना प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उनके पास कौन से आधिकारिक दस्तावेज हैं।

सोनागाछी की लगभग 8,000 सेक्स वर्कर्स में से कई का दशकों से अपने माता-पिता से कोई संबंध नहीं है। वे उनसे दस्तावेज ले पाने की स्थिति में भी नहीं हैं। नए आने वालों का नाम भी वोटर लिस्ट में नहीं है। इनके लिए काम करने वाले NGO चुनाव आयोग से इस बारे में अपनी बात रखने की योजना बना रहे हैं।

12 राज्यों में SIR होगा, इनमें करीब 51 करोड़ वोटर्स

अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में SIR शुरू हो गया है। इन 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ (BLO) और 7 लाख से ज्यादा बीएलए (BLA) राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे।

SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे।

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