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“लाश डिक्की में, चेहरे पर ढकी मासूमियत: पत्नी की तलाश का रचाया ड्रामा, हकीकत निकली खौफनाक”

ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के पारादीप की रहने वाली और भुवनेश्वर ट्रैफिक पुलिस में तैनात शुभमित्रा साहू छह सितंबर को अचानक लापता हो गईं. घरवालों और सहकर्मियों ने उन्हें हर जगह ढूंढा, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला. पुलिस ने भी जांच शुरू की, लेकिन 11 दिनों तक शुभमित्रा का कोई सुराग नहीं मिला.

फिर 17 सितंबर को खबर आई कि क्योंझर जिले के एक घने जंगल में एक महिला का क्षत-विक्षत शव मिला है. पहचान करने पर साफ हुआ कि वह शव शुभमित्रा का ही है.
भुवनेश्वर के उपायुक्त जगमोहन मीणा ने इस मामले को ‘रेड फ्लैग’ श्रेणी में डाला. यह श्रेणी 2014 में बनाई गई थी ताकि महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध जैसे हत्या और बलात्कार की जांच तुरंत और सर्वोच्च प्राथमिकता पर की जा सके. शुभमित्रा की हत्या की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने इसे इसी श्रेणी में रखा.
पुलिस की जांच में चौंकाने वाला सच सामने आया. पता चला कि शुभमित्रा की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उसके अपने पति दीपक कुमार राउत (39) ने की है. दीपक भी पुलिस में सिपाही है.  हत्या के बाद दीपक ने शुभमित्रा का शव कार की डिक्की में रखा. वह एक दिन तक सामान्य तरीके से लाश कार में ही लेकर घूमता रहा. वह थाने भी गया. फिर मौका देखकर उसकी लाश को 170 किलोमीटर दूर क्योंझर जिले के घाटगांव क्षेत्र के पास जंगल में जाकर सुनसान जगह पर दफना दिया. पुलिस ने दीपक को मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया. इतना ही नहीं, दीपक के रिश्तेदार बिनोद बिहारी भुइयां (38) और शंभूनाथ महंत (23) को भी पकड़ा गया. आरोप है कि दोनों ने हत्या की साजिश रचने और सबूत नष्ट करने में दीपक का साथ दिया.

पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि हर कड़ी को जोड़ा जा सके और आरोपियों को कड़ी सजा दिलाई जा सके. शुभमित्रा की हत्या ने पूरे राज्य को गमगीन कर दिया है. फिलहाल मामले की जांच जारी है.

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