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गड्ढों से प्यास बुझाने को मजबूर गांव, MP में भीषण जल संकट का दिल दहला देने वाला सच

 

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में कहने को पांच नदियां बहती हैं. यहां सरकारी जलावर्धन योजना या हर घर जल योजना भी संचालित हैं, लेकिन कुछ गांव और शहरी इलाके ऐसे हैं, जो पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज है. ऐसा ही एक गांव है शिवपुरी जिले की बदरवास तहसील के अंतर्गत कांकेर. यहां करीब 1000 लोगों की आबादी है, लेकिन यहां जो पानी देने वाला हैंडपंप है वह दूषित है. हैंडपंप मटमैला लाल पानी देता है.

यही वजह है कि गांव वाले पानी के लिए परेशान हैं और वो सिंध नदी की धार तक जाने को मजबूर हैं. पूरे गांव के लोग अपने सर पर खाली बर्तन लेकर सिंध नदी की धार की तरफ बढ़ते हुए हर सुबह-शाम दिखाई देते हैं. यह सफर आसान भी नहीं है. शिवपुरी जिला मुख्यालय पर गड्ढे से पानी पीने को मजबूर लोग हों या गांव वाले जो पानी की तलाश में सिर पर बर्तन रख नदियों की तरफ जाते हैं. वो रोज हादसों का शिकार होते हैं.

ये समस्या आज की नहीं है. ये समस्या पुरानी है. जब भी चुनाव आते हैं. नेता वादा करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही भूल जाते हैं. ग्रामिणों के सामने पानी के लिए सिंध नदी की धार तक जाने की मजबूरी यूं ही सालों से बरकरार है. वहीं शिवपुरी जिला पंचायत के रिकॉर्ड में अगर इस कांकेर गांव की बात की जाए यह परिपूर्ण है. गांव में पीने के पानी की कोई समस्या सरकारी रिकॉर्ड में नहीं है.

वहीं सीईओ जिला पंचायत हिमांशु जैन का कहना है कि अगर गांव में पानी की समस्या है और जमीन में पानी है, तो ट्यूबवेल जल्द लगवा दिया जाएगा. बाकी हम जांच करवाएंगे. बता दें कि यहां लोग पानी के लिए पथरीले रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं, लेकिन अधिकारी बस कुछ कहते हैं, तो जांच की बात और नेता चुनावी वादों के अलावा कुछ और नहीं करते. यही वजह है कि लोगों को अधिकारियों की इस लापरवाही और नेताओं के वादों से कोई खास उम्मीद नहीं है.

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