प्रेमनगर, फतेहपुर। इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की लचर कानून व्यवस्था के चलते जगह-जगह पर मेडिकल स्टोरों में रेवड़ी की तरह बेड लगा करके भर्ती प्रक्रिया से इलाज किया जा रहा है तो यहाँ पर कई बार बिना डिग्री धारक व बिना अनुभव के मानक विहीन अस्पताल संचालकों की लापरवाही से कितनों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। इसके बावजूद भी फतेहपुर स्वास्थ्य विभाग नहीं के अधिकारियो के जूँ तक नहीं रेंगी बल्कि इतना ही नहीं मरीजों की मौत के बदले पर फतेहपुर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों और ऑनरों से पैसों का सौदा करके उनकी पीठ थपथपाई जाती है। बताते चलें कि जनपद के खागा तहसील क्षेत्र के हदगांम, प्रेमनगर से लेकर कौशाम्बी बॉर्डर तक जगह-जगह पर दर्जनों क्लीनिक खुली हुई हैं। बात तो यह रही की क्लीनिक संचालक व अनुभवहीन डॉक्टर बिना डिग्री के ही अधिकांश खोलकर बैठे हुए हैं। इतना ही नहीं दबी जुबान से यही क्लीनिक संचालकों और डॉक्टरों का कहना रहता है कि हम खागा के हरदोई सीएचसी से लेकर जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मैनेज करते हैं उनको साल का पैकेज भेजा जाता है। हथगाम से लेकर चौकी चौराहा, सुल्तानपुर घोष, इजुरा मोड, प्रेमनगर तक के मेडिकल स्टोर में जमकर बेड लगाकर इलाज किया जाता है। ताज़ा मामला खागा तहसील क्षेत्र के सुल्तानपुर घोष गाँव के इजुरा मोड़ के पास आर्यन मेडिकल स्टोर संचालक इन दिनों सभी प्रकार के इलाज के मामले में सुर्खियाँ बटोर रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया में एक आर्यन मेडिकल स्टोर में ग्लूकोज़ लगाने का वीडियो खूब वायरल हो रहा है, और भर्ती करके इलाज करने का भी वीडियो सामने आया है, इस. मामले में ज़ब मेडिकल संचालक दीपू विश्वकर्मा से बात की गई तो बताया गया कि मेरे यहाँ सभी प्रकार के इलाज 24 घंटे होते हैं और सभी प्रकार की दवाएं भी मिलती हैं, साथ ही संचालक से ज़ब लाइसेंस के बारे में जानकारी पर चर्चा हुई तो बताया कि मेडिकल का लाइसेंस है लेकिन इलाज, भर्ती करके 24 घंटे किया जाता है तो वहीं और नाबालिक बच्चे प्रशिक्षण वाले से इंजेक्शन लगाया जा रहा था तभी झोलाछाप डॉक्टर ने कहा कि कहाँ पर नहीं कर रहें हैं नाबालिक बच्चे इलाज मैं, जिला अस्पताल में ंबउे का असिस्टेंट रहा हूँ। बता दें कि यह सब खेल हरदो बीब में तैनात एक फील्ड यूनिट ऑफिसर महाशय के इशारे में खेल खेला जाता है। खास बात तो यह रही कि इस आर्यन मेडिकल स्टोर में इलाज तो होता है लेकिन कोई भी महिला स्टॉप नहीं होने से क्या यह नियम विरुद्ध नहीं है। और बोर्ड में भी स्वास्थ विभाग द्वारा जारी लाइसेंस नंबर भी नहीं डाला गया आखिर क्यों? पुरे प्रकरण में डिप्टी सीएमओ ने कहा टीम भेजकर मामले की जाँच करा कर कार्यवाही की जाएगी।