बांदा। पैलानी तहसील अंतर्गत साड़ी गांव में संचालित बालू खदान खंड संख्या 77/1 व 77/7 व 89/1 का सीमांकन एवं अवैध खनन की जांच कराए जाने की ग्रामीणों ने प्रार्थना पत्र देकर जिलाधिकारी से मांग की है प्रार्थीगण ग्राम पंचायत सांडी के मूल निवासी एवं किसान है। सरकार ने ग्राम सांडी मे केन नदी से लाल मौरम खनन हेतु छतरपुर के पते पर रजिस्टर्ड फर्म न्यू यूरेका माइन्स एंड मिनरल्स को पट्टा स्वीकृत किया है। संचालक जयपुर के हिमांशु मीणा है जबकि क्षेत्र मे उनके करीबी अनिल बंसल आदि खनन कारोबार देखते है। उल्लेखनीय है कि पट्टेधारक हिमांशु मीणा फर्म को केन नदी के रकबा नम्बर 77/1 व 77/7 व 89/1 मे लीज पट्टा स्वीकृति है। किंतु यह ठेकेदार अनिल बंसल और उनके कारखास लोगों के साथ रातदिन सूर्यास्त के बाद भी प्रतिबंधित हैबिबेट अर्थ मूविंग पोकलैंड मशीनों से बेतहाशा अवैध खनन कर रहें है। आप / प्रशासन ने इन पर पूर्व मे जुर्माना कार्यवाही तो की है लेकिन दबंग और बाहुबली पट्टेधारक मौरम खनन के मंजे हुए खिलाड़ी अनिल बंसल, जावेद खान, अजहर आदि के साथ भूमिधरी किसानों के रकबा व ग्रामसभा की ज़मीन पर भी अवैध मौरम निकासी तथा ओवरलोडिंग परिवहन करते चले आ रहें है। ग्राम सांडी के किसानों के खतौनी नम्बर 103/217 हेक्टेयर व 102/3 हेक्टेयर राम औतार / शिवराज सतिनिया / बेवा शिवराज व बैजनाथ पुत्र शिवपाली ,रामबाबू वयस्क पुत्र जयनारायण, रमेशचंद्र पुत्र चुनुबाद,श्रीमती मूंगिया पत्नी चुनुबाद मदारी पुत्र महावीर, रामसेवक पुत्र महावीर, पंकज पुत्र जागेश्वर, पुष्पेंद्र कुमार पुत्र जागेश्वर आदि की भूमिधरी संयुक्त खाते पर अवैध खनन कर रहें है। यह ज़मीन नदी क्षेत्र से लगी है जिसमे यह फसल अथवा सब्जियां बोते है। पट्टेधारक हिमांशु मीणा व अनिल बंसल आदि अपने पट्टा क्षेत्रफल से बाहर रकबा 77/2 व 77/3 व 77/4 व 77/5 व 77/6 व 89/2 मे अवैध मौरम तालाब जितनी गहराई बनाकर निकाल दिए है। शासन व एनजीटी के दिशानिर्देश 3 मीटर तक खनन के है। वहीं पट्टा लीज शर्त और पर्यावरण जल-वायु एनओसी के मानक को पट्टेधारक ने कहीं भी लागू नही किया है। ठेकेदार जबरिया किसानों व ग्राम सभा की भूमि से 24 घण्टे दबंगई से सिस्टम साधकर खनन करता है। अतः उक्त पट्टेधारक खनन क्षेत्र का पुनः सीमांकन किया जाए। राजस्व क्षति पहुंचाने के चलते व पर्यावरण नियमों की अनदेखी पर यह फर्म ब्लैकलिस्ट करने की यथाशीघ्र कार्यवाही की जाए। अन्यथा प्रभावित किसानों को सत्याग्रह आंदोलन करना पड़ेगा। नदी का जल गांव व समाज की धरोहर है और माननीय मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का जल संरक्षण, किसान सुरक्षा उद्देश्य भी है।
