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यूपी में डिग्री का काला धंधा: चेयरमैन समेत 12 गिरफ्तार, लाखों में बिक रही थी फर्जी डिग्रियां

हापुड़, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने एक बड़े फर्जी डिग्री रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए हापुड़ के पिलखुआ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा को एक बार फिर गिरफ्तार किया है। इस बार विजेंद्र सिंह फर्जी डिग्रियां बांटने के मामले में पकड़ा गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि कभी 5 लाख का इनामी रहा विजेंद्र सिंह इससे पहले बाइक बोट घोटाले का भी मुख्य आरोपी था।

खुलासा हुआ कि हरियाणा के पलवल में ये मार्कशीट छप रही थीं। छापने वाला शख्स प्रति मार्कशीट-डिग्री के 5000 रुपए लेता था। यूनिवर्सिटी इसके बदले कथित तौर पर 50 हजार से 4 लाख रुपए तक छात्रों से वसूलती थी। दरअसल, हरियाणा के एक विश्वविद्यालय में नौकरी पाए शख्स ने PHD की फर्जी डिग्री लगा दी। यहीं से पूरा केस खुलता चला गया। पिछले 15 साल से चल रही इस यूनिवर्सिटी के अब तक कई हजार फर्जी मार्कशीट-डिग्रियां बेचने का अनुमान है। एसटीएफ ने मौके से हजारों फर्जी डिग्रियां बरामद की हैं।

50 हजार से 5 लाख तक में बेच रहे थे फर्जी डिग्रियां

एसटीएफ ने मोनाड यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह रैकेट एलएलबी, बी फार्मा, डी फार्मा, बीटेक सहित कई अन्य कोर्सेस की फर्जी डिग्रियां बनाकर बेच रहा था। एसटीएफ की छापेमारी के दौरान 1500 से अधिक फर्जी डिग्रियां बरामद हुईं हैं, जो इस रैकेट के बड़े पैमाने पर फैले होने का संकेत देती हैं। बताया जा रहा है कि इन फर्जी डिग्रियों को 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक में बेचा जा रहा था। आशंका है कि इन डिग्रियों का इस्तेमाल कई सरकारी और निजी फर्मों में नौकरी पाने के लिए किया गया है।

ऐसे पकड़ा गया फर्जी डिग्री का मास्टरमाइंड

हाल ही में यूपी एसटीएफ चीफ को फर्जी डिग्री रैकेट से संबंधित एक लिखित शिकायत मिली थी। एसटीएफ की मेरठ यूनिट ने जब जानकारी जुटाई तो मामला संदिग्ध लगा। कई दिनों तक मुखबिरी और पुख्ता जानकारी जुटाने के बाद एसटीएफ ने हापुड़ पुलिस के साथ मिलकर पिलखुआ में स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी में छापेमारी की। इस दौरान विश्वविद्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ विश्वविद्यालय का चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा भी एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया।

बाइक बोट घोटाले का भी रहा है आरोपी, कभी लंदन भाग गया था

विजेंद्र सिंह हुड्डा का आपराधिक इतिहास भी कम चौंकाने वाला नहीं है। वह कभी यूपी पुलिस का 5 लाख का इनामी रहा है। उसकी करीबी दीप्ति बहल आज भी 5 लाख की इनामी है। साल 2019 में विजेंद्र सिंह का नाम यूपी के बहुचर्चित बाइक बोट घोटाले में सामने आया था। लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर सहित उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बाइक बोट घोटाले में लगभग 118 एफआईआर दर्ज हुई थीं, जिसकी जांच बाद में यूपी पुलिस की ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) यूनिट को सौंप दी गई थी।

यूपी पुलिस को जब विजेंद्र सिंह की बाइक बोट घोटाले में तलाश थी, तो वह गिरफ्तारी से बचने के लिए लंदन भाग गया था। बाद में 2022 में विजेंद्र सिंह ने कोर्ट से जमानत ले ली और उसके बाद मेरठ का रहने वाला विजेंद्र सिंह हुड्डा हापुड़ के पिलखुआ में मोनाड यूनिवर्सिटी खोलकर फर्जी डिग्रियां बनाकर बेचने लगा। यह रैकेट बड़ी संख्या में छात्रों को चूना लगाकर भारी कमाई कर रहा था। एसटीएफ अब यूनिवर्सिटी से मिले डेटाबेस के जरिए बीते दो सालों में दी गई एक-एक डिग्री का ब्यौरा जुटा रही है। पुलिस अब उन सभी लोगों की तलाश करेगी जिन्होंने फर्जी डिग्रियां ली हैं और यह भी पता लगाएगी कि उनका इस्तेमाल कहाँ-कहाँ हुआ है।

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