प्रयागराज: संगम नगरी में बाढ़ से बिगड़ते हालात के बीच यमुना नदी का जल शहर के 3 किलोमीटर अंदर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर गया है. यमुना की सहायक ससुर खदेरी नदी के जरिए यमुना नदी ने करामत चौकी, करेलाबाग, अंधीपुर, दामूपुर और बक्शी इलाके के 40 हजार से अधिक की आबादी को प्रभावित किया है. इन इलाकों में बाढ़ ने मकान से लेकर खेत खलिहान को भी अपनी चपेट में ले लिया है. जिसके चलते यहां पर न सिर्फ रहने वाले मकानों से लोगों ने पलायन कर लिया है, बल्कि किसानों को खेती का भी भारी नुकसान बाढ़ के चलते उठाना पड़ रहा है.वहीं प्रयागराज में आई भीषण बाढ़ को देखने के लिए नदियों पर बने पुल/ब्रिज पर तमाशबीनों का मजमा भी जुट रहा है. वीडियो और रील्स बनाने के लिए करीब तीस फिट ऊपर ब्रिज से कई युवा खतरनाक स्टंट करते हुए सीधे बहती यमुना की जलधारा में छलांग लगा रहें हैं. ये युवा बाढ़ के बीच ख़ुद की जान को जोखिम में डालकर यमुना की जलधारा से खेलने काम कर रहे हैं. हालांकि स्थानीय करैली थाने की पुलिस इन्हें रोकने और टोकने का जरूर प्रयास कर रही है. लेकिन पुलिस के हटते ही तमाशबीनों और रील्स के लिए खतरनाक स्टंट करने वालों का मजमा पुल पर जुट जा रहा है. जिसके चलते हादसे की आशंका हर समय बनी रहती है.हडिया थाना क्षेत्र के सैदाबाद स्थित लीलापुर कला और मौजा भोज पट्टी में पूरा गांव बाढ़ की चपेट में है। कई घरों में पानी घुस गया है। रास्ते बंद हो गए हैं। बिजली न आने से चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ है।
शासन-प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली: प्रयागराज जिले में गंगा-जमुना का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच गया है। शहरी क्षेत्र में लगभग 2 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से पीड़ित हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी गंगा के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का भारी प्रकोप है।मूसलाधार वर्षा के कारण गंगा और यमुना रौद्र रूप धारण कर चुकी हैं। दोनों नदियों के जलस्तर ने सोमवार सुबह नौ बजे वर्ष 2013 के रिकार्ड को तोड़ने के करीब हैं। दोनों नदियों का पानी शहर की कई दर्जन बस्तियों और सैकड़ों गांवों को अपनी आगोश में ले चुका है। बाढ़ से शहर की 61 बस्तियां तथा 275 गांवों के पांच लाख लोग प्रभावित हो गए हैं। लगभग 80 हजार बाढ़ पीड़ित बेघर हो चुके हैं। जनपद में कुल 19 बाढ़ राहत शिविरों में नौ हजार से ज्यादा प्रभावित लोग शरण ले चुके हैं। राहत कार्य में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ तथा जल पुलिस व पीएसी बाढ़ राहत दल के 600 जवानों को उतार दिया गया है। लगभग 250 नावों और 30 मोटर बोट व स्टीमर लगाई गई हैं।कमिश्नर, डीएम, एडीएम सभी एसडीएम व तहसीलदार भी सुबह से ही प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच गए हैं।खतरे का निशान 84.734 मीटर पार करने के बाद गंगा और यमुना का जलस्तर 86 मीटर के पार पहुंच गया है। उफान अभी जारी है। स्थिति काफी भयावह होती जा रही है। शहर के कई कछार के बाद अब शहर के कई पॉश इलाके भी बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं। प्रशासन राहत बचाव कार्य में जुट गया है। जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो 1978 का रिकॉर्ड टूट सकता है। सोमवार को यमुना नदी का नैनी में 86.04 (+50) और गंगा नदी का फाफामऊ में 86.03 (+54) जलस्तर रिकॉर्ड किया गया।