महाराष्ट्र सरकार की तरफ से अधिकारियों के लिए कोड ऑफ़ कंडक्ट वाला सर्कुलर जारी किया गया. इस सर्कुलर के मुताबिक, उन्हें नेताओं के सम्मान में बकायदा तत्पर रहना होगा. जैसे जब कोई MP या MLA ऑफिस आए तो वो खड़े हो जाएं. इतना ही नहीं इसमें में व्यवहार, कम्युनिकेशन, मीटिंग, सरकारी इवेंट और रिस्पॉन्स टाइमलाइन के लिए भी नियम तय किए गए हैं.जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट की ओर से जारी सरकारी प्रस्ताव (GR) में कहा गया है कि मंत्रालय से लेकर ज़िला और तालुका ऑफिस तक, हर लेवल के अधिकारियों को पब्लिक प्रतिनिधियों के साथ पूरी तहज़ीब दिखानी चाहिए. जब लेजिस्लेचर/पार्लियामेंट के सदस्य ऑफिस पहुंचें और मीटिंग के बाद जब वे निकलें, तो अधिकारी खड़े होकर उनका स्वागत करेंगे.
बकायदा सरकार की तरफ से चेतावनी भी दी गई है अगर किसी भी तरह की देरी, लापरवाही या नए प्रोटोकॉल का पालन न करने पर महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज़ रूल्स और सरकारी काम में देरी रोकने के लिए बने 2005 के कानून के तहत कार्रवाई होगी.
GR में आगे कहा गया है कि एक्सेस को बेहतर बनाने के लिए, सरकार ने मीटिंग के लिए तय घंटे रखे हैं. रीजनल और डिस्ट्रिक्ट हेड को हर महीने के पहले और तीसरे गुरुवार को दो घंटे खास तौर पर MPs और MLAs के साथ मीटिंग रखनी होगी.
GR में बताया गया है कि यह शेड्यूल पहले से पब्लिश किया जाना चाहिए और सभी चुने हुए रिप्रेजेंटेटिव को बताया जाना चाहिए. सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि MPs या MLAs की तरफ से उठाए गए अर्जेंट मामलों पर ऑफिस टाइम के दौरान कभी भी बात की जा सकती है. डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को निर्देश दिया गया है कि जब लेजिस्लेचर या पार्लियामेंट चल रहा हो तो बड़े सरकारी प्रोग्राम न करें. अगर कोई प्रोग्राम ज़रूरी हो, तो उसे ऐसे दिन शेड्यूल किया जाना चाहिए जब हाउस न बैठा हो.
डिपार्टमेंट्स को लेजिस्लेचर की प्रिविलेज कमिटी की ओर से जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है. उन्हें लेजिस्लेचर सेक्रेटेरिएट से मिले नोटिस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए और कमिटी को इन्फॉर्म करते रहना चाहिए. इसमें कहा गया है कि प्रिविलेज के किसी भी ब्रीच की तुरंत रिपोर्ट की जानी चाहिए और संबंधित ऑफिसर के खिलाफ डिसिप्लिनरी एक्शन शुरू किया जाना चाहिए.
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