फतेहपुर। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिलाध्यक्ष शिवचंद्र शुक्ला एवं युवा विकास समिति के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। जिसमें प्राइवेट विद्यालयों के मनमानी व जिला शुल्क विनियामक समिति के गठन के संबंध में आवाज बुलंद की गई। इस दौरान इन लोगों ने कहा कि अप्रैल में शैक्षिक सत्र की शुरुआत होने के साथ निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है। स्कूल धड़ल्ले से कापी किताबों की बिक्री के साथी फीस भी बढ़ा चुके हैं। अफसरों ने निजी स्कूलों के दुकान बनाने पर कार्यवाई की बात कही थी लेकिन ना कोई जांच हुई और ना ही कार्रवाई हुई जिससे स्कूलों में फिर से सामग्री बेचने का कार्य है 1 अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरू हो गई है। निजी स्कूल कापी किताबों के साथ यूनिफॉर्म टाई बेल्ट स्कूलों से ही बेच रहे हैं या फिर कोई अपने करीबी को बिठाकर पूरा खेल खिला रहे हैं। इन लोगों ने मांग किया की भारी भरकम कमीशन बाजी के इस खेल को रोका जाए। जांच में जो भी स्कूल लपेटे में आए उसके खिलाफ सख्त से सख्त करवाई किया जाए। इस दौरान इन लोगों ने कहा कि बड़ी संख्या में स्कूलों ने बेसिक शिक्षा परिषद से कक्षा 8 तक की मान्यता ले रखी है। इसमें हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों की मान्यता है। मानता के साथ ही परिषद की ओर से पाठ्यक्रम और पुस्तक भी निर्धारित हैं। लेकिन स्कूल संचालक खुद अपना सिलेबस तय करके अपनी सुविधा के अनुसार प्रकाशकों से पुस्तक छपवाकर उनकी मनमानी कीमत निर्धारित करके उससे बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। शिक्षकों की योग्यता और वेतन का भी मानक नहीं है। इन स्कूलों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों के शैक्षिक योग्यता का कोई मानक तय नहीं है। इन लोगों ने आरोप लगाया कि अप्रशिक्षित युवक युवतियों को शिक्षण कार्य में लगाया जाता है। अभिभावकों से तो भारी भरकम शुल्क लिया जाता है लेकिन छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है। जिलाधिकारी से जिला शुल्क नियामक समिति गठित किए जाने की मांग किया और ऐसे निजी स्कूलों के खिलाफ शिकंजा कसकर उन पर कार्रवाई करने की भी मांग की गई। ज्ञापन देने वालों में विकास श्रीवास्तव उर्फ मोनू लाला, संजय सिंह पटेल, कंचन मिश्रा, अमिताभ शुक्ला, रिजवान डियर, जितेन्द्र सिंह उर्फ सोनू यादव, सुनील गुप्ता सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
