फतेहपुर। प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास एवं संवेदनशील देखभाल अंतर्गत आकांक्षी जनपद में संचालित परियोजना जीवन के प्रथम 1000 दिवस के दूसरे चरण का शुभारंभ जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह द्वारा किया गया। भारत को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में जीवन के प्रथम 1000 दिवस (गर्भावस्था से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक) को सशक्त बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अवधि बच्चे के शारीरिक, मानसिक, और संज्ञानात्मक विकास की नींव रखती है। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि जीवन के पहले 1000 दिनों में मस्तिष्क की 80ः वृद्धि हो जाती है। इस अवधि में सही पोषण, स्वास्थ्य सेवा, संवेदनशील परवरिश, और सीखने के अवसरों का समावेश बच्चे की संज्ञानात्मक क्षमताओं और सामाजिक व्यवहार को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। पिछले दो वर्षों से संवेदनशील परवरिश एवं सीखने के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से संचालित जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना के सकारात्मक परिणामों और स्वास्थ्य एवं पोषण सेवा प्रदाताओं के ज्ञान एवं कौशल में हो रही अभिवृद्धि को ध्यान में रखते हुए परियोजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया गया। इस चरण का मुख्य उद्देश्य जनपद के प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत बच्चों के चिरस्थाई प्रारंभिक बाल्य विकास को सुनिश्चित करना है। यह परियोजना नीति आयोग आयोग भारत सरकार के निर्देशानुसार , वैन लीर फाउंडेशन और विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसाइटी के संयुक्त प्रयास से वर्ष 2022 से संचालित की जा रही है। इस अवसर पर परियोजना के प्रथम दो वर्षों के कार्यकाल की समीक्षा की गई और दूसरे चरण के कार्य योजना एवं उद्देश्यों पर विस्तृत चर्चा की गई। साथ ही जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह ने परियोजना में संलग्न समस्त जिला एवं ब्लॉक अधिकारियों के सहयोग की सराहना करते हुए उन्हें प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। बैठक के दौरान जिलाधिकारी रविन्द्र सिंह ने समस्त जिला अधिकारीयों को सम्बोधित करते हुए कहा की अकांक्षी जनपद जैसे क्षेत्रों में अंतराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग न केवल अधिकारीयों की एवं जमीनी कार्यकर्ताओं की क्षमतावृद्धि कर रहा है बल्कि सोचने के दृष्टिकोण को भी बढ़ता है. साथ ही उन्होंने कहा की परियोजना के दूसरे चरण के शुभारम्भ से पूर्व ही जिला प्रशासन द्वारा इस परियोजना से प्राप्त सीखों को स्थायी रूप से विभागों में चलायी जा रही योजनाओं के साथ संकलित कर के संस्थागत रूप से आत्मसात करने की आवश्यकता है. साथ ही जिलाधिकारी द्वारा तकनिकी संस्था को ये भी निर्देश दिए गए की दूसरे चरण की योजना निर्माण में अनिवार्य रूप से समस्त विभागों का सक्रीय सहयोग जिला प्रशासन के नेतृत्व में लिया जाये व इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की सतत निगरानी की रणनिति भी बनायीं जाये। मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीणा ने पिछले 2 वर्षाे में हुए परियोजना के अंतर्गत हुए क्रियान्वयन में जिला एवं ब्लॉक अधिकारीयों के कार्यों की सराहना की साथ ही परियोजना के चरण में इसी प्रकार का सहयोग जारी रखने का निर्देश दिया। इस बैठक के दौरान परियोजना से संलग्न समस्त अधिकारियों को पिछले 2 वर्षों में दिए गए सहयोग हेतु जिलाधिकारी द्वारा प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया। साथ ही सुश्री रुशदा मजीद द्वारा मुख्य कार्यक्रम अधिकारी वैन लीर द्वारा जिलाधिकारी को एवं शुभ्रा चटर्जी निदेशक विक्रमशीला द्वारा मुख्य विकास अधिकारी को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। जिला कार्यक्रम समन्वयक अनुभव गर्ग, डॉ नैनी राव, सोनल रूबी राय द्वारा कार्यक्रम के संचालन में तकनीकी सहयोग दिया गया। परियोजना के दूसरे चरण के शुभारंभ से जनपद के बच्चों के सर्वांगीण विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीना, जिला विकास अधिकारी प्रमोद सिंह चंद्रौल, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजीव नयन गिरि, जिला कार्यक्रम अधिकारी साहब यादव, जिला पंचायत राज अधिकारी उपेंद्र राज सिंह, वैन लीर फाउंडेशन की मुख्य कार्यक्रम अधिकारी रुश्दा मजीद, विक्रमशिला संस्था की निदेशक शुभ्रा चौटर्जी, वैन लीर फाउंडेशन के भारत प्रमुख एवं प्रमुख सलाहकार प्रकाश कुमार पाल के साथ उपायुक्त रोजगार ग्रामीण आजीविका मिशन मुकेश कुमार, प्रभारी चिकित्साधिकारी पोषण पुनर्वास केंद्र डॉ. रघुनाथ सिंह, एवं परियोजना के हाई फोकस क्षेत्र में कार्यरत समस्त खण्ड विकास अधिकारी एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी तेलियानी, भिटौरा, हसवा, शहरी आदि उपस्थित रहे।
