अफगानिस्तान में रविवार रात 6.3 तीव्रता का भूकंप आया। इसकी तीव्रता 6 मापी गई। अब तक कम से कम 250 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हैं। अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या और भी बढ़ सकती है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, भूकंप जलालाबाद शहर से लगभग 17 मील दूर आया। जलालाबाद की आबादी करीब दो लाख है और यह राजधानी काबुल से सड़क मार्ग से 100 मील से भी कम दूरी पर है। रातभर शहर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।
NYT की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें पड़ोसी कुनार प्रांत में हुई हैं। सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि भूकंप से देश के कुछ पूर्वी प्रांतों में गंभीर जान-माल का नुकसान हुआ है। हालांकि, उन्होंने ज्यादा डिटेल शेयर नहीं किया है। अल जजीरा के मुताबिक भूकंप का असर पड़ोसी देश के एक बड़े इलाके में भी महसूस किया गया, जिसमें खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत भी शामिल हैं।
इससे पहले अफगानिस्तान में 7 अक्टूबर 2023 को विनाशकारी भूकंप आया था। तालिबान सरकार ने इस भूकंप में 4 हजार मौतों का दावा किया था, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 1500 मौतों की पुष्टि की थी। वहीं 2022 में पूर्वी अफगानिस्तान में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें लगभग 1,000 लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हुए थे। अफगानिस्तान में ताकतवर भूकंपों का इतिहास रहा है। भूकंप के लिहाज से हिंदूकुश पर्वतमाला एक्टिव माना जाती है, जहां हर साल भूकंप आते हैं। अफगानिस्तान, भारत और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच में स्थित है। ये फॉल्ट लाइन अफगानिस्तान के हेरात तक जाती है। प्लेट्स में हलचल होने पर भूकंप आता है।
भूकंप क्यों आता है?
हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।