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महाराष्ट्र सुसाइड केस में महिला डॉक्टर ने हाथ पर लिखा सब इंस्पेक्टर का नाम, भाई ने खोले हैरान कर देने वाले राज

सतारा: महाराष्ट्र के सतारा जिले के फलटण इलाके में एक महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली. डॉक्टर ने खुदकुशी से पहले सीनियर अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए थे. उसके सुसाइड से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. डॉ. संपदा मुंडे सतारा जिले के फलटण उपजिला अस्पताल में तैनात महिला डॉक्टर के तौर पर तैनात थी. सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मुंडे पिछले कुछ महीनों से पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच चल रहे एक विवाद में फंसी हुई थीं. बताया जा रहा है कि एक मेडिकल जांच से जुड़े मामले में पुलिस अधिकारियों से उनके बीच वाद-विवाद हुआ था, जिसके बाद उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई थी. उसने सुसाइड नोट में पुलिस इंस्पेक्टर पर चार बार रेप करने का आरोप भी लगाया है.

हाथ पर पेन से लिख रखे थे कुछ नाम: उसने अपने हाथ में कुछ नाम लिखे हैं और उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. डॉ. मुंडे ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत दी थी कि मेरे साथ अन्याय हो रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो मैं आत्महत्या कर लूंगी. दुर्भाग्यवश, बीती रात उन्होंने यह कदम उठा लिया.  फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है. हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में मृतिका डॉक्टर ने बलात्कार का आरोप लगाया है. सुसाइड नोट में संपदा ने लिखा, PSI गणेश बदने ने 4 बार रेप किया. मेरे मरने का कारण पुलिस निरीक्षक गोपाल बदने हैं. चार बार उसने मेरा बलात्कार किया. 5 महीने से अधिक (समय तक) बलात्कार और उत्पीड़न किया था.SI को मुख्यमंत्री के आदेश के बाद निलंबित कर दिया गया है.19 जून को फलटण के एसडीएम को डॉ. संपदा मुंडे (मेडिकल ऑफिसर फलटण) ने पत्र लिखाथा. इसमें
उन्होंने बताया था कि फलटण ग्रामीण पुलिस विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है.

रिश्तेदार ने बताई आत्महत्या की वजह
मृतका डॉक्टर की रिश्तेदार ने कहा, मेरी भतीजी डॉ. संपदा मुंडे ने गुरुवार को अचानक आत्महत्या कर ली. हमें कुछ भी न बताते हुए उसने ड्यूटी खत्म होने के बाद होटल में जाकर, आत्महत्या कर ली. उसने हमें बीच-बीच में ऐसा बताया था कि मुझे पोस्टमार्टम करते समय… रिपोर्ट बदल कर दो, वगैरह, ऐसे उसे अधिकारी परेशान करते थे और मुझे अगर परेशानी हुई तो मैं सुसाइड करूंगी. ऐसा वह हमें बीच-बीच में बताती थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव!
शिकायत देने के सवाल पर रिश्तेदार ने कहा, उसने लिखित शिकायत दी थी डीवाईएसपी (DYSP) को, उसका अभी तक उसे उत्तर नहीं आया है. वह पोस्टमार्टम करते समय… मतलब, उसे जो परेशानी  होती थी.. अलग-अलग स्तरों से उसे परेशान करते थे और रिपोर्ट बदल कर दो, ऐसा बार-बार कहते थे। और उसे वह सहन नहीं होता था, इसलिए उसने सुसाइड करने का फैसला किया. बाकी के लोगों को भी बता रही थी कि मैं, मुझे ऐसे दिक्कत हो रही है, मैं सुसाइड करूंगी और बाकी हमें और उसमें का कुछ पता नहीं है.

एसपी-डीएसपी ने भी एक्शन नहीं लिया
संपदा की एक और रिश्तेदार ने बताया, वो उसके मामा की लड़की है और फल्टन उप जिला अस्पताल में मेडिकल अफसर थी. उस पर पिछले कम समय से काफी पुलिस प्रशासन का दबाव था. गलत तरीके से पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने या मरीज को हॉस्पिटल में न लाकर भी फिटनेस रिपोर्ट बनाकर देना. अस्पताल में सिक्योरिटी को लेकर भी उसने शिकायत की थी. वो अस्पताल के एरिया में अकेले रहती थी. एसपी, डीएसपी को पत्र लिखने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. उसने अपनी जान को भी खतरा बताया था. उसने अपनी हथेली दो लोगों का नाम खास तौर पर लिखा है. एक पुलिस निरीक्षक गोपाल बदाने है और एक प्रशांत बनकर है. पहले जो उसने शिकायत दी थी, उसमें महादिक वगैरह और भी दो चार लोगों के नाम हैं. उन सबको अरेस्ट होकर कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए.

सीएम ने आरोपियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सतारा के पुलिस अधीक्षक से तुरंत जानकारी ली और संबंधित पुलिस अधिकारियों  को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया.मुख्यमंत्री ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

महिला आयोग ने संज्ञान लिया
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने सतारा डॉक्टर सुसाइड मामले का संज्ञान लिया है.सतारा पुलिस को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.फलटण सिटी पुलिस में BNS की धारा 64 (2) (N), 108 के तहत मामला दर्ज किया है.फरार आरोपी गोपाल बदने और प्रशांत बनकर को गिरफ्तार करने के लिए एक सर्च टीम भेजी गई है. पुलिस डॉ. संपदा मुंडे की आत्महत्या के पीछे की वास्तविक वजहों की जांच कर रही है. लेकिन पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच विवाद और उनके खिलाफ चल रही जांच के कारण वह मानसिक तनाव में हो सकती हैं. लेकिन एक डॉक्टर के ऐसे कदम से सनसनी फैल गई है. इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्यकर्मियों के मानसिक सेहत के मुद्दे को उभार कर रख दिया है. स्वास्थ्यकर्मी अक्सर काम के बोझ, प्रशासनिक कठिनाइयों और तमाम दबावों के कारण अत्यधिक तनाव में काम करते हैं. चिकित्सा संगठनों की मांग है कि प्रशासन ऐसे मामलों को गंभीरता से ले और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और स्वास्थ्यकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए.

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