गाजीपुर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ से प्राप्त निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन दिनांक 10 मई, 2025 को जनपद न्यायालय, गाजीपुर, वाह्य न्यायालय सैदपुर एवं मुहम्मदाबाद तथा ग्राम न्यायालय जखनियाँ व जमानियाँ के साथ-साथ अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में किया जाएगा। जिसमें पूर्व की भांति माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निर्देशित प्रकरण यथा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र संबंधी, छोटे व लघु दाण्डिक वाद, पारिवारिक वाद, धारा-138 एन.आई.एक्ट, स्टाम्प वाद/पंजीयन वाद, मोटर अधिनियम वाद, चकबंदी वाद, श्रम वाद, उपभोक्ता फोरम वाद, वाट-माप प्रचलन अधिनियम वाद, कराधान प्रकरण, बिजली चोरी के वाद, सुलह समझौता एवं मध्यस्थता के माध्यम से वैवाहिक विवाद को परिपक्व कराकर आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में पूर्व की तुलना में ज्यादा से ज्यादा वादों का निस्तारण कर, आमजन को लाभान्वित करते हुए, राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाना है। उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन तथा आम जन को इसकी जानकारी एवं विधिक सेवा/सहायता कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार हेतु आज दिनांक 05.05.2024 को श्री धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय, माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर द्वारा एक जागरूकता रैली जनपद न्यायालय गाजीपुर के मुख्य द्वार से हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। श्री धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय, माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गाजीपुर द्वारा जनमानस को अपने लम्बित वादों को लोक अदालत के माध्यम से सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारण हेतु सम्बोधित किया गया एवं सभी से लोक अदालत को सफल बनाने का आवाह्न किया। श्री शक्ति सिंह-।, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कक्ष सं0-01, गाजीपुर/नोडल अधिकारी लोक अदालत गाजीपुर द्वारा कहा गया कि लोक अदालत वर्षों से लम्बित मामलों के त्वरित निस्तारण का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण साधन है। ऐसे छोटे प्रकरण जिसमें अनावश्यक रुप से मुकदमेबाजी के कारण पक्षकारों के मध्य वैमन्यस्ता विद्यमान रहती है, को समाप्त कर सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने में लोक अदालत द्वारा अपनी सक्रीय भूमिका निभायी जा रही है। श्री विजय कुमार-IV अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश /सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गाजीपुर बताया कि लोक अदालत से न्याय के क्षेत्र में क्रान्ति आई है और लोगों में विधिक जागरूकता भी बढ़ी हैं तथा सुलह समझौता एवं मध्यस्थता के माध्यम से वैवाहिक विवाद को परिपक्व कराकर आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में पूर्व की तुलना में ज्यादा से ज्यादा वादों का निस्तारण करने के लिए सम्बोधन में कहॉ गया।
