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लखनऊ में विषाक्त भोजन खाने से मरी भेड़ों के पशुपालकों से पाल सामुदायिक उत्थान समिति के पदाधिकारियों ने की मुलाकात

लखनऊ में विषाक्त भोजन खाने से मरी भेड़ों के पशुपालकों से पाल सामुदायिक उत्थान समिति के पदाधिकारियों ने की मुलाकात
फतेहपुर! पाल सामुदायिक उत्थान समिति के अध्यक्ष डा अमित पाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल जनपद फतेहपुर सदर विधानसभा के गांव मदरियापुर पहुंचकर उन भेड़ पालकों से मुलाकात करते हुए लखनऊ में उनकी भेड़ों के मरने के कारण को जानने का प्रयास किया और प्रशासन की तरफ से सभी मृत भेड़ों का मुआवजा दिलाने में पूरी तरह साथ सहयोग करने का आश्वासन दिया। जानकारी देते हुए पशुपालक प्रदीप पाल ने बताया कि हम अपने पिता शिवरतन पाल एवं अन्य दो भाइयों के साथ अपनी भेड़ों को चराने के लिए अक्टूबर माह में लखनऊ की तरफ गए थे। वर्तमान में लखनऊ के आसपास के जंगलों में भेड़ों को चराते थे। 28 दिसंबर की रात को हम लोग जहां पर रुके वहां 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी जी की रैली हुई थी जहां तमाम बचा हुआ भोजन पड़ा हुआ था ।रात होने के कारण हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया जब 29 दिसंबर को सुबह हमारी भेड़ें मरने लगी तो हमें घबराहट हुई और वहां के लोकल लोगों की मदद से इलाज का प्रयास किया पर कोई ठोस बचाव नहीं हो पाया। और देखते ही देखते बड़ी संख्या में भेड़ें मरने लगी ।खबर पाकर कुछ लोकल पत्रकार और पुलिस प्रशासन के लोग पहुंचे धीरे-धीरे प्रशासन ने मीडिया के लोगों को वहां से बाहर कर दिया और हमें मदद दिलाने का भरोसा देते रहे। अत्यधिक संख्या में भेड़ों के मरने के से वहां के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आकर मृत भेड़ों का बिना मेडिकल कराए दफनाने का भी प्रयास किया।धीरे-धीरे रात होने पर दबाव बनाने लगे और बिना लिखा पड़ी के भेड़ों को दफनाने का प्रयास किया। जब हमें लगा प्रशासन हमारा साथ नहीं दे रहा बल्कि दबाव बनाकर हमें यहां से भगाना चाहता है तो हमने अपने जनपद के कुछ रिश्तेदारों से पाल सामुदायिक उत्थान समिति के पदाधिकारियों का नंबर लेकर बात किया।उनके द्वारा हमें अस्वस्थ किया गया कि आप धैर्य बनाए रखें हम जरूर कुछ ना कुछ प्रयास करके आप लोगों की मदद करने का प्रयास करते हैं ।और फिर हमारी बात समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सहित कुछ अन्य लोकल लोगों से कराई गई। जब पार्टी के नेताओं द्वारा प्रशासन से बात हुई तब प्रशासन कुछ नरमी दिखाते हुए हमें भरोसे में लेने का प्रयास किया और मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाने की बात कही। और कुछ ही देर में बताया गया की मुख्यमंत्री जी ने 10000 रुपए प्रति भेड़ मुआवजा देने की बात कही है , कुछ लिखा पड़ी के लिए आप लोगों को थाने तक चलना होगा। जब हम लोग थाने चले गए वहां से वापस आने के बाद देखा की जो हमारी भेड़ बची हुई थी उनको बिना हमारी मर्जी के गाड़ियों में लाद दिया गया है। हमको केवल 87 भेड़ मृतक बताते हुए प्रशासन ने मुआवजे राशि की चेक देकर गाड़ियों में बैठाल कर कर रातों-रात फतेहपुर छोड़ दिया। यहां आने पर रास्ते में 7 और भेड़ों ने दम तोड़ दिया। भेड़ गिनने पर पता चला कि हमारी लगभग 38 भेड़ें को कहीं पर नहीं दिखाया गया जिससे लगता है की लखनऊ प्रशासन ने 38 भेड़ों का मुआवजा न देते हुए उन्हें लावारिस की तरह गायब करते हुए दफना दिया होगा। उत्तर प्रदेश सरकार एवं लखनऊ प्रशासन से मांग है कि गायब भेड़ों का भी मुआवजा दिया जाए। साथ ही आज रात में भी 3 भेड़ों ने फिर दम तोड़ दिया है ।मौके पर जिला प्रशासन द्वारा डॉक्टरों की टीम भेज कर इलाज एवं मृतक भेड़ों का पोस्टमार्टम करने की कार्रवाई की जा रही है। प्रतिनिधि मंडल को मौके पर लेखपाल मौजूद मिले जो पूरी तरह से पशुपालकों के अनुसार मौके की रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को दे रहे हैं। समिति के अध्यक्ष डॉ अमित पाल ने अपर जिलाधिकारी से फोन में बात कर मर रही भेड़ों का भी मुआवजा दिलाने की बात कि जिसपर अपर जिलाधिकारी ने तहसीलदार के माध्यम से रिपोर्ट तैयार कराकर यहां मरने वाली सभी भेड़ों का मुआवजा दिलाने की विधि कार्रवाई का भरोसा दिया ।
प्रतिनिधि मंडल में प्रमुख रूप से डॉ अमित पाल, सूरजभान पाल, बबलू पाल, रामचंद्र पाल, श्रीकांत पाल, इंद्रसेन पाल, विनोद पाल, सहित अन्य स्वजाती लोग उपस्थित रहे।

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