पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ इन दिनों तुर्की, ईरान, तजाकिस्तान और अजरबैजान की यात्रा पर हैं. इस दौरे को लेकर पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ वैश्विक मंच पर माहौल बनाने की कोशिश की जा रही थी. लेकिन ईरान पहुंचते ही उनकी रणनीति उलटी पड़ गई. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने गाजा पर पाकिस्तान की चुप्पी को लेकर शहबाज शरीफ को सख्त लहजे में फटकार लगाई. खामनेई ने सवाल उठाया कि जब यूरोपीय देश तक इजराइल की आलोचना कर रहे हैं, तो फिर एक मुस्लिम राष्ट्र होते हुए भी पाकिस्तान चुप क्यों है?
उन्होंने पाकिस्तान से गाजा के समर्थन में एक ठोस कार्ययोजना (रोडमैप) तैयार करने की बात कही. खामनेई ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल बयानों से अब काम नहीं चलेगा. पाकिस्तान को खुलकर ईरान के साथ आकर इजराइल के खिलाफ खड़ा होना होगा, वरना उसकी मौन सहमति को समर्थन नहीं माना जाएगा. ईरानी नेता का कहना था कि इस वक्त गाजा के समर्थन में आवाज बुलंद करने की ज़रूरत है, क्योंकि यहूदी शासन लगातार निर्दोष मुस्लिम बच्चों की हत्या करवा रहा है.
इसके साथ ही खामनेई ने पाकिस्तान की उस मांग को भी दरकिनार कर दिया जिसमें उसने ईरान से शाहेद ड्रोन की सप्लाई की उम्मीद जताई थी. ईरान ने हथियार देने से इनकार करते हुए सिर्फ व्यापारिक समझौता किया और पाकिस्तान को पड़ोसी देशों से बेहतर रिश्ते बनाने की सलाह दी. इस पूरे घटनाक्रम ने पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ईरान जैसे देश से समर्थन की उम्मीद में पहुंचे शहबाज शरीफ को वहां उलटे तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा.