मोटा पर्स जेब में रख घंटों बैठने से रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ रहा है। मांसपेशियों और नसों में सूजन आ रही है। इससे नसों के सुन्न होने और मांसपेशियों में दर्द की परेशानी हो रही है। एसएन मेडिकल कॉलेज के न्यूरोफिजिशियन और हड्डी रोग विशेषज्ञों के पास मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इनमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। न्यूरोफिजीशियन विभागाध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 80-100 मरीज आ रहे हैं। इनमें से 30 फीसदी के मरीजों के कमर में दर्द, नसों में दबाव, सूजन की दिक्कत, सुन्न होना समेत अन्य परेशानी मिल रही है।
पूछताछ में इन मरीजों से पता चला कि इनका पर्स मोटा है और पीछे की जेब में रखकर घंटों बैठते हैं। इससे नसों-मांसपेशियों में दबाव पड़ने से ये दिक्कत पनपी। ऐसे 6-8 फीसदी मरीज रहे। कुछ दिन के इलाज और पर्स हटाकर बैठने से परेशानी ठीक हुई। हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमृत गोयल ने बताया कि मोटे पर्स से नितंब पर एक ही स्थान पर दबाव पड़ने से हिप जॉइंट पर असर पड़ रहा है। इससे एक कूल्हा ऊपर उठने से रीढ़ की हड्डी झुक जाती है। रीढ़ की नस दबने, डिस्क खिसकना, चाल टेढ़ी होने और हिप जॉइंट के सुन्न होने की दिक्कत भी बन रही है। ओपीडी में रोजाना 15-20 मरीज इसके आ रहे हैं।
एसएन मेडिकल कॉलेज के फिजियोथेरेपी विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल शर्मा ने बताया कि मोटा पर्स रख कुर्सी पर बैठकर काम करने, बाइक-कार चलाने समेत अन्य से कूल्हे, कमर, पैरों में दर्द और सुन्नपन की परेशानी के मरीज बढ़ रहे हैं। फिजियोथेरेपी भी कराने आ रहे हैं। इनमें कामकाजी युवाओं की संख्या अधिक है। फिजियोथेरेपी से परेशानी ठीक हो रही है।
ये करें:
– पर्स में डेबिट-क्रेडिट कार्ड न रखें।
– बिल, कागज को अलग से रखें।
– बैठते वक्त पर्स को आगे की जेब में रखें।
– पर्स में चाबियां, खुले सिक्के न रखें।