अंजुम शाहकार
लखनऊ की सरज़मीन पर रहबर-ए-मोअज्जम आयतुल्लाह अली खामेनेई के,भारत में नवनियुक्त नुमाइंदे आयतुल्लाह अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने। तंज़ीमुल मकातिब गोलागंज का दौरा किया।तंज़ीमुल मकातिब वो मजहबी इदारा है।जो मरहूम ख़तीब-ए-आज़म मौलाना गुलाम अस्करी साहब के हसीन ख्वाबों और बेजोड़ मेहनत की तामीर का नतीजा है। हकीम इलाही की निगाह-ए-इनायत से नवाज़ा गया।आयतुल्लाह हकीम इलाही ने सेक्रेटरी मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी से मुलाक़ात की।और मकतबों के नेटवर्क, तालीमी दर्जे की सरगर्मियों का जायज़ा लिया।जो कुछ उन्होंने देखा,उसे देख कर वो इस कदर मुतास्सिर हुए कि उन्होंने फ़रमाया अगर कोई मुझसे कहता कि हिंदुस्तान में कोई इदारा इतनी वसीअ और पुरअसर खिदमत कर रहा है। तो मैं यक़ीन न करता। मगर आज जब अपनी आंखों से तंज़ीमुल मकातिब को देखा। तो मैं पूरे यक़ीन के साथ कह सकता हूं कि यह इदारा इल्म और दीनी तहज़ीब का असली नमूना है।उन्होंने तंज़ीमुल मकातिब को “उम्मीद का मीनार” “हिंदुस्तान का रौशन चिराग़”और इमामे ज़माना (अ.स) के मिशन का सच्चा सिपाही” क़रार दिया।तंज़ीमुल मकातिब से तालीम पाए हज़ारों स्टूडेंट्स आज पूरी दुनिया में इराक़, ईरान, अफ़्रीका, यूरोप और अमरीका तक इल्म, अख़लाक़ और अमल का उजाला फैला रहे हैं।जो महज़ एक इदारा नहीं, बल्कि उस मशाल का नाम है जो घर-घर इल्म की रोशनी पहुँचा रही है। इस मौके पर आयतुल्लाह अली नकी नकवी नक्कन साहब मरहूम के नवासे हुज्जतुल इस्लाम तकी नकवी , और मौलाना कमर हसनैन भी मौजूद थे।तंज़ीमुल मकातिब का ये ऐतिहासिक लम्हा, न सिर्फ़ उसके अतीत की तसदीक़ है।बल्कि उसके रौशन मुस्तक़बिल की भी गवाही देता है। लखनऊ की तहज़ीब और तंज़ीमुल मकातिब की ख़िदमात दोनों ने मिलकर एक बेहतरीन पैग़ाम के जरिए बता दिया कि जब इल्म, ईमान और अख़लाक़ का संगम होता है।तो ज़मीन पर खुदा की रहमत उतरती है।
