नई दिल्ली. भारत में बिटकॉइन को लेकर कोई साफ कानून नहीं है और यही चिंता अब सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई है. सोमवार को कोर्ट ने कहा कि भारत में बिटकॉइन की ट्रेडिंग एक तरह से ‘हवाला के हाईटेक तरीके’ जैसी है. कोर्ट ने अफसोस जताया कि केंद्र अब तक क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं बना पाया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि कोर्ट ने दो साल पहले केंद्र से क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग पर पॉलिसी के बारे में अदालत को जानकारी देने के लिए कहा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बिटकॉइन ट्रेडिंग के लिए गिरफ्तार एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि भारत में बिटकॉइन ट्रेडिंग अवैध नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक के एक सर्कुलर को रद्द कर चुका है।
गुजरात सरकार और ED 10 दिन में जवाब दाखिल करेंगे- रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि बिटकॉइन की कीमत बहुत ज्यादा है। कोई भी व्यक्ति एक बिटकॉइन से विदेश में किसी शोरूम में जाकर कार खरीद सकता है। मैंने रविवार को चेक किया कि एक बिटकॉइन की कीमत 82 लाख रुपए थी। गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वे विस्तृत जवाब दाखिल करना चाहेंगे। इस पर कोर्ट ने राज्य और ED को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
देश में क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन का कोई सिस्टम नहीं- केंद्र ने पिछले साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने और इससे जुड़े अपराधों की जांच करने के सिस्टम पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी, 2022 को केंद्र से पूछा था कि क्या क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग पर कोई कानून है या नहीं। दरअसल, कोर्ट एक व्यक्ति पर दर्ज कई FIR रद्द करने से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी। व्यक्ति पर बिटकॉइन ट्रेडिंग करने और हाई रिटर्न का भरोसा देकर देश भर में इन्वेस्टर्स को ठगने का आरोप था।