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BBAU में हड़कंप: छात्रा का आरोप- प्रोफेसर ने दिखाई ब्लू फिल्म, की अशोभनीय हरकत

लखनऊ के बाबा साहब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर से सेक्सुअल हैरसमेंट की जांच इंटरनल कंप्लेंट कमेटी जल्द करेगी। इस मामले के बाद कैंपस में सनसनी जैसे हालत हैं। स्कॉलर के HOD पर आरोपों के बाद कैंपस पहुंचकर पूरी स्थिति जानी। पता चला कि इससे पहले भी एनवायरमेंटल माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट विवादों में रहा है।

विभाग में कई दिन बाद शुक्रवार को हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो. राजेश कुमार पहुंचे। उन्होंने खुद पर आरोप के बाद रिसर्च स्कॉलर से जुड़ी फाइल मंगाकर पहले की सारी कंप्लेंट चेक की। एडमिशन सहित दस्तावेज भी तलब किए। उन्होंने कहा- स्कॉलर स्टूडेंट ने अपने गाइड के ट्रांसफर के बाद प्रक्रियाओं में देरी की। जब उस पर कार्रवाई हुई तो उसने झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए।

बता दें कि रिसर्च स्कॉलर ने HOD प्रोफेसर राजेश कुमार पर आरोप लगाया है कि वह ब्लू फिल्म दिखाते हैं। मेरा यौन शोषण कर रहे हैं। वहीं, प्रकरण में कुलपति प्रो. आरके मित्तल का कहना है कि निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई भी होगी।

अब मामले को समझते हैं…

लगभग 2 साल से रिसर्च स्कॉलर को गाइड नहीं

BBAU के डीन एकेडमिक प्रो. विक्टर बाबू कहते हैं कि रिसर्च स्कॉलर के गाइड पंकज अरोरा जुलाई-2023 में रोहिल खंड यूनिवर्सिटी चले गए थे। ऐसे में यह काम डिपार्टमेंट रिसर्च कमेटी (DRC) का था कि समय से उसे नया गाइड या को-गाइड अलॉट किया जाना था। इस DRC कमेटी की अगुआई खुद हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो. राजेश कुमार कर रहे हैं, ताकि समय से को-सुपरवाइजर नियुक्त किया जाए। 2 साल बीतने को हैं, पर अभी तक कोई नया गाइड न दिया जाना गलत है।

गाइड के जाने के बाद लैब नहीं खोल रहे थे

प्रो. बाबू ने बताया कि हेड ऑफ डिपार्टमेंट ने रिसर्च स्कॉलर के गाइड रहे पंकज अरोरा के जाने के बाद उनकी लैब को जबरन बंद करके रखा। ऐसे में रिसर्च स्कॉलर के प्रैक्टिकल और लैब एक्टिविटी प्रभावित होते रहे। कई बार शिकायत मिलने पर और काफी दबाव के बाद हेड ने लैब खोली।

दुनिया के टॉप 2% साइंटिस्ट की लिस्ट में नाम का झूठा दावा

उन्होंने बताया- रिसर्च स्कॉलर बिना फैलोशिप के काम कर रहा था। यह हेड की बड़ी गलती है। ऐसे में यह साफ दिख रहा है कि हेड ऑफ डिपार्टमेंट ने अपना को-स्पॉन्सर नेचुरल प्रिंसिपल ऑफ जस्टिस नहीं फॉलो किया। इससे पहले हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रो. राजेश कुमार पर साल 2023 में स्टैनफोर्ड की दुनिया के टॉप 2% साइंटिस्ट लिस्ट में जालसाजी करना का आरोप लगा था। इस मामले में अभी जांच चल रही है।

पहले भी विवादों में रहा यह विभाग

एनवायरमेंटल माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट पहले भी कई बार विवादों में रहा है। यहां कुछ साल पहले एक असिस्टेंट प्रोफेसर पर फीमेल स्टूडेंट के सेक्सुअल हैरसमेंट के आरोप लगे। तब भी विभाग की जबरदस्त किरकिरी हुई थी। बाद में किसी तरह मामला रफा-दफा किया गया।

अब आरोपी HOD की बात

कुलपति को ई-मेल कर निष्पक्ष जांच की मांग की

आरोपी HOD प्रो. राजेश कुमार ने बताया कि कुलपति को ई-मेल कर निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने छात्र के आरोपों को झूठा बताते हुए जांच समिति गठित करने का अनुरोध किया है। रिसर्च स्कॉलर ने 3 जून को कुलपति से यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी।

कुलपति और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों को भेजे गए ईमेल में प्रो. राजेश कुमार ने कहा है कि वह शोधार्थी के बिना हस्ताक्षर वाली प्रगति रिपोर्ट और अधूरी पीएचडी फाइलों जैसी शैक्षणिक अनियमितताओं के बारे में अक्टूबर 2024 से लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित कर रहे थे। विभागाध्यक्ष का कहना है कि रिसर्च स्कॉलर ने अपने पूर्व गाइड के तबादले के बाद पर्यवेक्षक परिवर्तन की प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की।

निराधार आरोपों से प्रतिष्ठा नष्ट हो जाती है

देरी करने पर जब उस पर नियमानुसार कार्रवाई शुरू हुई तो वह सोशल मीडिया पर झूठे आरोप और भ्रामक जानकारी फैलाने लगा। HOD ने कहा कि यह मेरे चरित्र की हत्या के साथ शिक्षक समुदाय की गरिमा पर हमला है। ऐसे निराधार आरोपों से एक शिक्षक की वर्षों की मेहनत, प्रतिष्ठा और मानसिक शांति पलभर में नष्ट हो जाती है। उन्होंने आरोप झूठ पाए जाने पर रिसर्च स्कॉलर के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

विभाग में 50 के करीब रिसर्च स्कॉलर मौजूद

प्रो. राजेश कुमार ने बताया कि विभाग में करीब 50 रिसर्च स्कॉलर हैं। इनमें फीमेल और मेल का रेश्यो करीब 7:3 है। करीब 35 फीमेल कैंडिडेट्स है पर विभाग में आज तक कोई भी इल्जाम नहीं लगा पाया। इस रिसर्च स्कॉलर ने उनके चरित्र पर हमला किया है। ऐसे में वो बेगुनाही का सबूत देकर, कौन असल कसूरवार है, ये साबित भी करेंगे।

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