दिल्ली आकर बहन से मिलने की थी योजना, कुछ दिन पहले ही हुई थी बातचीत—लेकिन किसे पता था कि अगली मुलाक़ात होगी अंतिम विदाई। यह दर्द है बागपत के वसीम का, जिसकी बहन हमेशा के लिए रुख़्सत हो गई।
लाल हुईं आंखों के साथ वसीम बार-बार कह रहा था कि काश यह हादसा न हुआ होता तो उसकी बहन इस हालत में न होती। अब उसके दो बच्चों की देखभाल कैसे होगी। दोनों बच्चे छोटे हैं।
वसीम ने बताया कि कई साल पहले बहन की शादी इस बिल्डिंग के मालिक के बेटे चांद से हुई थी। हादसे में जीजा चांद और उसके दो बच्चे घायल हुए, लेकिन बहन ने दम तोड़ दिया। घटना के बाद शव जीटीबी अस्पताल के शवगृह में रखा गया है।
वसीम ने कहा कि बहन ही घर को संभालती थी। दोनों बच्चे उसके बिना नहीं रहते हैं। अब समझ नहीं आ रहा कि बच्चों को कैसे बताएंगे कि अब उसकी मां घर वापस नहीं आ सकती। उन्हें पिता चांद के सहारे जिंदगी बितानी होगी।
आठ साल पहले हुई थी शादी, खत्म हुआ परिवार
चार मंजिला बिल्डिंग गिरने की दुखद घटना में दम तोड़ने वाली साइना और नाजिम की शादी आठ साल पहले हुई थी। साइना बागपत जिले के सिंगोली गांव की रहने वाली थी। उसकी शादी दिल्ली के मुस्तफाबाद में रहने वाले नाजिम से हुई थी। शादी के बाद से दोनों यहीं रह रहे थे। घटना के वक्त नाजिम और साइना इमारत में दूसरे तल पर थे। वह अपने तीनों बच्चों के साथ इसी तल पर रहते थे।
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इस घटना में बागपत के रहने वाले जमील की बेटी साइना (25 साल) और उसके पति नाजिम (25 साल) के साथ-साथ उनके तीन बच्चों की मौत हो गई। उनके दो बेटे और एक बेटी थी। इनकी उम्र छह साल से 11 माह बताई जा रही है। घटना के बाद से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है।
शादी में चली गई तो बच गई जान
शादी में जाना साहिबा के लिए जिंदगी का कारण बन गया। हादसे से एक दिन पहले मकान मालिक के बेटे की पत्नी साहिबा अपने बच्चों के साथ मायके चली गई थी। उन्हें शादी में शामिल होना था। जीटीबी अस्पताल में घायलों से मिलने पहुंचे अन्य पीड़ित की परिजन साजिद ने बताया कि साहिबा के पति आस मोहम्मद की काफी समय पहले ही मौत हो गई थी। साहिबा इस बिल्डिंग में अपनी एक बेटी और दो बेटों के साथ रहती थी। घटना से पहले उनके मायके से लोग शादी का निमंत्रण लेकर आए और साहिबा के साथ बच्चों को अपने साथ ले गए।
हादसे के बाद अस्पताल पहुंचे कई लोग
हादसे के बाद परिजनों की जानकारी लेने बागपत के सिंगोली गांव से कई लोग जीटीबी अस्पताल पहुंचे। सोहेल ने बताया कि सुबह-सुबह इस दुखद घटना की जानकारी मिली। गांव में हर जगह इस घटना की चर्चा हो रही थी, तभी गांव के लोगों ने परिवार के साथ मिलकर दिल्ली आने का फैसला लिया, लेकिन अस्पताल में कोई जानकारी नहीं मिल पाई।