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अमृत सरोवर तालाब बने शोपीस, बिन पानी पशु पक्षी व्याकुल

 

प्रेमनगर, फतेहपुर। विकास खंड ऐरायाँ में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत खोदे गये तालाबों में इन दिनों धूल उड़ती नजर आ रही है तो वहीं प्रदेश सरकार के द्वारा वर्ष 2022-23 में अमृत सरोवर तालाब की खुदाई के नाम पर व सुंदरता और सजावट के लिए लाखों रूपये खर्च किया गया था। बताते चले कि विकास खंड ऐरायाँ सादात और के बंशीपुर स्थित मजरे देवारा गाँव में अमृत सरोवर तालाब अर्धनिर्मित सूखा पड़ा हुआ है। जिससे जंगली,जानवर,और पशु पक्षीयां प्यास से ब्याकुल नज़र आ रहें हैं। जबकि यह दोनों तालाब राम गंगा नहर के किनारे से कुछ दुरी पर बने हुए है लेकिन जिम्मेदार ग्राम प्रधान अपनी समाजिक जिम्मेदारियो से दूर भागते हुए नज़र आ रहें हैं, इतना ही नहीं कुछ दिन पूर्व जिले के अधिकारियो और कर्मचारियों/ग्राम प्रधानों की बैठक में साफ जाहिर कर दिया गया था कि गांव के अमृत सरोवर तालाबों में पानी भरवाया जाना अति आवश्यक है। जिससे भीषण गर्मी के चलते पानी की सतह नीचे नहीं जाने पाए और जलवायु, पर्यावरण को बढ़ावा देने लिए लाखों खर्च किया गया है। जबकि जानकारी के अनुसार ऐरायाँ सादात और देवारा पंचायत के अमृत सरोवर तालाबों से धूल उड़ने का नजारा देखा जा सकता है। तो वहीं सालों से यह सूखा पड़ा तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा हैं यह जीता जागता सबूत ऐरायां विकास खण्ड क़े ऐरायाँ सादात और बंशीपुर मजरे देवारा पंचायत में देखा जा सकता है। अर्धनिर्मित सूखे पड़े तालाब चर्चा का विषय बने हुए हैं क्योंकि पशु पक्षि पानी पीने के लिए बेहाल हो रहें हैं।
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क्या है अमृत सरोवर का मानक और उद्देश्य
अमृत सरोवर तालाब परियोजना का मुख्य उद्देश्य हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों (तालाबों) का निर्माण या पुनरुद्धार करना है, जिससे देश में कुल 50,000 अमृत सरोवर हो सकें हैं। इस योजना का उद्देश्य जल संकट को हल करना, सतह और भूजल की उपलब्धता बढ़ाना, और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है।
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अमृत सरोवर तालाब के मानक
– प्रत्येक अमृत सरोवर तालाब का क्षेत्र कम से कम 1 एकड़ (0.4 हेक्टेयर) होना चाहिए,
– प्रत्येक सरोवर की जल धारण क्षमता लगभग 10,000 क्यूबिक मीटर होनी चाहिए
– अमृत सरोवरों के निर्माण और विकास के लिए राज्य और जिला स्तर पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा), 15वें वित्त आयोग अनुदान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की उप-योजनाओं जैसे वाटरशेड विकास घटक, हर खेत को पानी, के अलावा राज्यों की अपनी योजनाओं के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।

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